ग्रेच्युटी भुगतान में तदर्थ सेवा अवधि भी जोड़े जाने योग्य : हाईकोर्ट, राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज
प्रयागराज। हाईकोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी द्वारा दी गई तदर्थ सेवा की अवधि उसको ग्रेच्युटी भुगतान में नियमित सेवा के साथ क्वालीफाइंग सर्विस के रूप में जोड़ी जाएगी। इस निष्कर्ष के साथ कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील को खारिज कर दिया है।
विशेष अपील में एकल न्याय पीठ के 22 मई 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी। अपील पर न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने सुनवाई की की। प्रतिपक्षी श्यामा देवी के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने अपील का विरोध किया।
एकल न्याय पीठ ने श्यामा देवी की याचिका पर उनके पति द्वारा की गई तदर्थ सेवा की अवधि को नियमित सेवा में जोड़ कर ग्रेच्युटी के भुगतान का आदेश दिया था। इस फैसले को राज्य सरकार ने चुनौती दी थी।
कहा गया कि एकल पीठ के रिट क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित किया। अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि एकल पीठ ने याचिका में उठाए गए प्रश्नों का समाधान करते हुए आदेश पारित किया। खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ ने निश्चित रूप से इस प्रश्न पर विचार किया है कि ग्रेच्युटी का भुगतान किस अवधि का और किस सीमा तक किया जाना चाहिए।
वहीं, याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि याची के पति की नियुक्ति 1988 में आदर्श इंटर कॉलेज रॉबर्ट्स गंज सोनभद्र में सहायक अध्यापक के पद पर तदर्थ रूप से हुई थी। दस साल की सेवा के बाद उनको 1998 से नियमित कर दिया गया। वर्ष 2012 में उनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई। याची ने ग्रेच्युटी भुगतान की मांग की।
राज्य सरकार ने मांग स्वीकार कर ली, मगर सिर्फ नियमित सेवा अवधि का ग्रेच्युटी भुगतान ही स्वीकार किया, जिसे याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश पर मुहर लगाते हुए सरकार की अपील खारिज कर दी और याची को उनके पति की ग्रेच्युटी का भुगतान तदर्थ सेवा अवधि को जोड़ते हुए करने का आदेश दिया है।