जनप्रतिनिधियों के पत्रों की अनदेखी हुई तो अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, देखें शासनादेश
लखनऊः जनप्रतिनिधियों के पत्रों का उत्तर नहीं देने और सकारात्मक कार्यवाही नहीं किए जाने का मुद्दा विधानमंडल में सदस्यों द्वारा उठाए जाने के प्रकरण को सरकार ने गंभीरता से लिया है। अब सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा विभागों को भेजे जाने वाले पत्रों पर कार्यवाही नहीं किए जाने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान सदस्यों ने यह मुद्दा सदन में उठाया था। संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव जेपी सिंह ने शनिवार को जारी शासनादेश के माध्यम से कहा है कि सांसदों, विधानमंडल के सदस्यों तथा अन्य माननीयों से प्राप्त पत्रों पर त्वरित कार्यवाही की जाए।
संसदीय शिष्टाचार, पत्राचार कार्यान्वयन अनुभाग द्वारा पूर्व में जारी शासनादेशों का संदर्भ देते हुए उन्होंने प्रत्येक सरकारी कार्यालय में एक 'जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर' रखने के लिए कहा है। रजिस्टर में जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों का विवरण दर्ज करते हुए उन्हें पावती भेजने और प्रकरण के निस्तारण की स्थिति में जनप्रतिनिधि को अवगत कराने के लिए कहा गया है ताकि संबंधित जनप्रतिनिधि को एक ही मामले में बार-बार पत्राचार न करना पड़े।
शासनादेश में इस बात का जिक्र है कि पूर्व में दिए गए निर्देशों के बावजूद विधानमंडल में सदस्यों द्वारा यह विषय उठाया गया है। कहा गया है कि निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए। अवहेलना पर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।