संयुक्त स्वामित्व की भूमि का पट्टा तभी वैध, जब सब हों राजी : हाईकोर्ट
अदालत ने आगरा में पेट्रोल पंप की डीलरशिप की मांग वाली याचिका की खारिज
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि संयुक्त स्वामित्व की जमीन का पट्टा विलेख तभी वैध होगा, जब सभी खातेदार राजी हों और उसे निष्पादित करें। कानूनी बंटवारा होने से पहले एक अकेला सह खातेदार न तो पट्टा विलेख निष्पादित कर सकता है और न ही भूमि के प्रयोग की प्रकृति में बदलाव कराने का हकदार है।
इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ, न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने पेट्रोल पंप की डीलरशिप की मांग कर रहे आगरा के ईशान चौधरी और आदित्य चंद्र की याचिका खारिज कर दी।
याचियों ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की 28 जून 2023 को अधिसूचना के क्रम में आगरा के खैरागढ़ के नगला सांथल में पेट्रोल पंप की डीलरशिप का आवेदन किया था। याचियों की ओर से पेट्रोल पंप लगाने के लिए जिस प्रस्तावित भूमि का हवाला दिया गया था, वह राजस्व अभिलेखों में वह कृषि भूमि थी। इसके चार मालिक थे। लेकिन, याचियों ने वह जमीन केवल एक सह खातेदार विजय सिंह की ओर से निष्पादित पट्टा विलेख के आधार पर हासिल की थी।
बीपीसीएल ने इसी आधार पर याचियों का आवेदन खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ याचियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दलील दी कि प्रस्तावित जमीन के सह खातेदारों के बीच आपसी समझौता हो चुका है। याचियों ने विजय सिंह के हिस्से में आई जमीन का पट्टा विलेख निष्पादित कराया है। वह इस जमीन का स्वतंत्र हकदार है।