सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पोस्ट हटाने से पहले भी नोटिस देना अनिवार्य किया, सोशल मीडिया खाते बंद करने से पहले भी नोटिस देना होगा
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आदेश दिया
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सोशल मीडिया खाते बंद करने या पोस्ट हटाने से पहले खाता धारकों को नोटिस देना जरूरी है। शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। याचिका में सूचना प्रौद्योगिकी के कुछ नियमों को भी चुनौती दी गई है।
अदालत में बिना नोटिस के सोशल मीडिया खाते बंद करने और पोस्ट हटाने के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी। जस्टिस बी. आर. गवई और ए. जी. मसीह की पीठ ने इसके साथ ही केंद्र को नोटिस जारी कर मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। जस्टिस गवई ने कहा कि पहली नजर में हमें लगता है कि नियम को इस तरह से पढ़ा जाना चाहिए कि यदि कोई व्यक्ति पहचाना जा सकता है, तो नोटिस दिया जाना चाहिए।
प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफः इससे पहले, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सोशल मीडिया खातों के ब्लॉकिंग नियमों के तहत नोटिस केवल मध्यस्थ (जैसे 'एक्स' या कोई अन्य सोशल मीडिया मंच) को जारी किया जाता है, खाताधारक के रूप में परिभाषित व्यक्ति को नहीं। वरिष्ठ अधिवक्ता जयसिंह ने इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। इसके अलावा याचिका में यह आदेश देने की मांग की है कि मौजूदा नियम में 'या' शब्द को 'और' पढ़ा जाए।
कोई भी पीड़ित व्यक्ति कोर्ट से संपर्क कर सकता है
सुनवाई शुरू होने पर जस्टिस गवई ने कहा कि यह याचिका 'सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर' ने क्यों दाखिल की, इसके बजाय, किसी भी पीड़ित व्यक्ति जो पहचान योग्य है अपनी शिकायत के साथ संपर्क कर सकता है। उन्होंने कहा कि मान लीजिए कि नियम को इस तरह से पढ़ा जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति पहचान योग्य है, तो ऐसे व्यक्ति को नोटिस दिया जाना चाहिए और यदि कोई व्यक्त्ति पहचान योग्य नहीं है, तो नोटिस किसी मध्यस्थ को दिया जाना चाहिए। पीठ ने यह टिप्पणी 'सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर' की ओर से दाखिल याचिका पर की है।