बलिया के युवक की याचिका को कोर्ट ने किया स्वीकार, पूर्व आदेश को किया रद्द
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक कर्मचारी पर लगाया गया बड़ा दंड रिकॉर्ड में रहने पर उसके उत्तराधिकारी अनुकंपा नियुक्ति की मांग नहीं कर सकते। याची के पिता पर लगाया गया दंड दो साल के लिए था। इसके बाद याची के पिता को पदोन्नति भी दी गई। कोर्ट ने कहा कि याची के पिता पर लगाए गए दंड का प्रतिकूल प्रभाव उनकी पदोन्नति के बाद जारी नहीं रह सकता। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए तीन महीने के भीतर कानून के अनुसार नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने बलिया निवासी सौरभ लाल की याचिका पर दिया।
सौरभ लाल के पिता अच्छेलाल बैंक में कार्यरत थे। इस दौरान उनकी मृत्यु हो गई। याची ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। इस पर बैंक अधिकारियों ने आवेदन को खारिज कर दिया। कहा गया कि सेवा के दौरान मृतक पर बड़ा दंड लगाया गया था। उनका सेवा रिकॉर्ड ठीक नहीं था। इस आधार पर उत्तराधिकारियों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। याची ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि कर्मचारी पर सिर्फ दो साल के लिए ही दंड लगाया गया था। इसके बाद याची को दो पदोन्नति दी गई।