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Wednesday, March 26, 2025

हाईकोर्ट के 763 न्यायमूर्तियों में से 57 ने ही संपत्ति का ब्योरा दिया, अपने ही बनाए नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट के जज

हाईकोर्ट के 763 न्यायमूर्तियों में से 57 ने ही संपत्ति का ब्योरा दिया

देशभर की उच्च अदालतों ने जजों की संपत्ति का ब्योरा स्वेच्छा से देने की बात कही थी

अपने ही बनाए नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट के जज


नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर लगी आग बुझाने के दौरान बड़े पैमाने पर नकदी मिलने के बाद से सड़क से लेकर संसद तक न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने की बात हो रही है। सालों पहले, न्यायपालिका में इसी पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों ने प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया था कि सभी न्यायाधीश स्वेच्छा से अपनी-अपनी संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर अपलोड करके सार्वजनिक करेंगे। लेकिन अपने ही बनाए नियमों को न तो देश की सर्वोच्च अदालत और न ही उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश पालन कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत की फुल कोर्ट ने यह संकल्प लिया था कि न्यायाधीशों को पदभार ग्रहण करने पर तथा जब भी कोई महत्वपूर्ण प्रकृति का अधिग्रहण किया जाता है, तो मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अपनी संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए। इसी तरह की घोषण देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को भी करने का नियम बनाया गया और यह भी प्रस्ताव किया गया कि सभी न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपनी-अपनी संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक आधार करेंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार सीजेआई सहित किसी भी मौजूदा न्यायाधीश की संपत्ति का ब्यौरा नहीं है।


इसी तरह देश के अधिकांश उच्च न्यायालयों ने भी प्रस्ताव पारित किया था सभी न्यायाधीश अपनी संपत्ति का ब्यौरा संबंधित उच्च न्यायालय के वेबसाइट पर अपलोड करके सार्वजनिक करेंगे। देश के अधिकांश उच्च न्यायालयों के जजों ने वेबसाइट पर अपनी संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा नहीं है। सभी उच्च न्यायालयों के वेबसाइट पर मौजूद जानकारी का विश्लेषण से पता चलता है कि सभी उच्च न्यायालयों के 7 फीसदी जजों ने ही अपनी वेबसाइट पर अपनी संपत्ति के बारे में जानकारी सार्वजनिक की है। देश में कुल 25 उच्च न्यायालयों में मौजूद 763 न्यायाधीशों में से महज 57 जजों ने ही वेबसाइट पर अपनी संपत्ति की घोषणा की है।

सबसे अधिक पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के जजों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की है। इस उच्च न्यायालय में मौजूद 53 न्यायाधीशों में से 29 ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा अपने वेबसाइट पर सार्वजनिक की है। दिल्ली हाईकोर्ट के मौजूदा 39 न्यायाधीशों में से महज 7 न्यायाधीशों से वेबसाइट पर अपनी संपत्ति की सार्वजनिक रूप से घोषित की है। घर से नकदी मिलने के बाद विवादों के घिरे दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने वेबसाइट पर संपत्ति की घोषणा के लिए फाइल अपलोड की है। लेकिन इसमें कोई जानकारी नहीं है बल्कि पीडीएफ फाइल पूरी तरह से खाली है।

जबकि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक 16 में महज एक जज ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक किया है। जबकि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के 12 मौजूदा न्यायाधीशों में से 11 जजों ने अपनी संपत्ति घोषित की है, जबकि एक न्यायाधीश का प्रोफाइल अभी अपडेट होना बाकी है। कर्नाटक उच्च न्यायालय के 50 न्यायाधीशों में से एक न्यायाधीश ने अपनी संपत्ति के बारे में वेबसाइट पर जानकारी सार्वजनिक की है। जबकि केरल उच्च न्यायालय के 44 में से तीन न्याराधीशों और मद्रास हाईकोर्ट के 65 में से पांच जजों से अपनी संपत्ति के बारे में वेबसाइट पर जानकारी सार्वजनिक की है।


18 उच्च न्यायालयों के किसी भी जज ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर नहीं की है सार्वजनिक

देश में कुल 25 उच्च न्यायालयों में से 18 उच्च न्यायालयों के किसी भी जज ने अपनी संपत्ति के बारे में वेबसाइट पर सार्वजनिक घोषणा नहीं की है। इसमें इलाहाबाद, पटना, रांची, आंध्र प्रदेश, बॉम्बे, कलकत्ता, गोवाहाटी, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा और ‌उत्तराखंड शामिल है।


सीजेआई के समक्ष अनिवार्य तौर पर संपत्ति का ब्यौरा देते हैं न्यायाधीश

भले ही, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश वेबसाइट पर अपनी संपत्ति के बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं करते हैं, लेकिन देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के कार्यालय में अनिवार्य तौर पर हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा देते हैं। सुप्रीम कोर्ट सूत्रों के मुताबिक शीर्ष अदालत में न्यायाधीश नियुक्त होने पर सभी न्यायाधीश अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने हैं। यहां तक कि हर साल संपत्ति के ब्यौरा को भी अपडेट करते है। 

साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वेबसाइट पर संपत्ति के बारे में जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह स्वैच्छिक है। इसी तरह कई उच्च न्यायालय के सूत्रों ने कहा कि न्यायाधीश संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अपनी संपत्ति का ब्यौरा हर साल देते हैं। जहां तक वेबसाइट पर सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह स्वैच्छिक है।

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