पद सृजित नहीं होने के आधार पर 30 साल बाद नहीं रोक सकते वेतन : हाईकोर्ट
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मऊ का आदेश किया रद्द
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पद सृजित नहीं होने के आधार पर 30 साल बाद कर्मचारी का वेतन नहीं रोक सकते। यह टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मऊ के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने पद सृजित नहीं होने के आधार पर याची का वेतन रोक दिया था।
मऊ के अलीनगर में गैर-सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थान मदरसा जामिया आलिया अरबिया अलीनगर में शिक्षण एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के 27 पद स्वीकृत थे। सभी को वेतन मिल रहा था। बाद में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने पर शिक्षकों के और पद स्वीकृत करने का अनुरोध किया गया। जांच के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मऊ ने 14 पदों के सृजन की संस्तुति की।
निदेशक उर्दू उ.प्र. लखनऊ को आवश्यक कार्रवाई हेतु संस्तुति प्रेषित की गई। वहीं, याची 1988 से सहायक अध्यापक तहतानिया (प्राथमिक) के पद पर कार्यरत था। वर्ष 1995 से पदों की स्वीकृति के बाद उसे राजकीय कोष से वेतन मिलने लगा। वर्ष 2021 में सहायक अध्यापक फौकानिया (माध्यमिक) के पद पर याची को पदोन्नत कर दिया गया। पदोन्नति के कागजात जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, मऊ को भेजे गए। उन्होंने वित्तीय स्वीकृति के लिए कागजात को रजिस्ट्रार/निरीक्षक, उ.प्र. मदरसा शिक्षा बोर्ड, लखनऊ को भेज दिया, लेकिन वित्तीय स्वीकृति के बाद भी उन्हें वेतन नहीं दिया गया।