चार साल की नई समयसीमा में ITR भरने के नियम जानें
इस बार के आम बजट में आयकर रिटर्न दाखिल करने के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। अब करदाता तय समयसीमा चूकने के बाद भी चार साल तक अपना रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। इसके लिए संशोधित, विलंबित और अपडेटेड रिटर्न के नियमों को सरल और अधिक प्रभावी बनाया गया है। इन नए प्रावधानों का उद्देश्य करदाताओं को अधिक समय और लचीलापन देना है ताकि वे अपना आयकर रिटर्न सही ढंग से दाखिल कर सकें और गलती होने पर उसमें सुधार कर सकें।
सरकार ने किसी भी आकलन वर्ष के लिए अपडेटेड आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की समयसीमा को मौजूदा दो साल से बढ़ाकर चार साल करने का प्रस्ताव वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में रखा है। इससे करदाताओं को गलतियों को सुधारने, छूटी हुई आय घोषित करने और कर कानूनों का अनुपालन करने के लिए अधिक समय मिलेगा।
कर सलाहकारों का कहना है कि अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाकर सरकार ने करदाताओं को अपनी आय सही तरीके से घोषित करने का एक और मौका दिया है। ये बदलाव करदाताओं को समय पर रिटर्न फाइल करने के लिए प्रेरित करेंगे। साथ ही, डिजिटल पहल से पारदर्शिता बढ़ेगी और प्रक्रिया तेज होगी।
सावधानी से फॉर्म भरना जरूरी: कर विशेषज्ञों के अनुसार, आईटीआर भरते समय बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होती है। यदि करदाता फॉर्म में गलत जानकारी भरता है तो आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है। गलत फॉर्म जमा करने पर विभाग इसे अमान्य मानकर खारिज कर सकता है। साथ ही जुर्माना भी लगा सकता है। ऐसे मामलों में, आयकर नोटिस या जुर्माने से बचने के लिए सही विवरण के साथ संशोधित रिटर्न 31 दिसंबर तक जमा किया जा सकता है। हालांकि, जानबूझकर कम जानकारी देने या गलत आईटीआर फॉर्म चुनने से आय का निर्धारण गलत हो सकता है। ऐसे में कर चोरी का मामला बन सकता है। इसके परिणामस्वरूप आयकर विभाग देय कर राशि का 100 से 300 तक जुर्माना लग सकता है।
समय पर ही भरें आरटीआर
कर विशेषज्ञों कहना है कि करदाता को तय समय के अंदर रिटर्न दाखिल करने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। फिर भी, अगर कोई ऐसा करने में विफल रहता है तो वह कैलेंडर वर्ष की आखिरी तारीख यानी 31 दिसंबर तक रिटर्न दाखिल कर सकता है। इसे विलंबित रिटर्न कहा जाता है। आयकर विभाग ने इस रिटर्न को दाखिल करने की सुविधा सिर्फ उन लोगों के लिए रखी है, जो किसी मजबूरी की वजह से समय पर रिटर्न दाखिल करने से चूक जाते हैं। हालांकि, विलंबित रिटर्न भरने के दौरान कई सुविधाएं समाप्त हो जाती हैं।
अपडेटेड आयकर रिटर्न अन्य से अलग कैसे
1. संशोधित आयकर रिटर्न (रिवाइज रिटर्न)
2. विलंबित आयकर रिटर्न (बिलेटेड आईटीआर)
3. अपडेटेड आयकर रिटर्न
● एक करदाता आकलन वर्ष की 31 दिसंबर तक संशोधित रिटर्न दाखिल कर सकता है। हालांकि, यदि करदाता अतिरिक्त आय का खुलासा करना चाहता है, तो वह अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकता है
● इसकी समय सीमा आकलन वर्ष की समाप्ति से 24 महीने के भीतर होती है। इसके लिए अतिरिक्त कर का भुगतान करना आवश्यक है।
● इसके अलावा जो करदाता विलंबित रिटर्न भरने से भी चूक जाते हैं, वे भी अपडेटेड रिटर्न 24 माह के भीतर दाखिल कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें जुर्माना चुकाना पड़ेगा।
● इस आयकर रिटर्न को पहली बार 2022 में पेश किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य करदाताओं को अपनी अतिरिक्त आय का खुलासा करने के लिए अवसर देना है।
● किसी भी आकलन वर्ष के लिए आईटीआर दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई होती है। यदि करदाता इस तय समय में रिटर्न नहीं भर पाता तो वह विलंबित रिटर्न दाखिल कर सकता है।
● कोई करदाता सबसे पहले जो रिटर्न दाखिल करता है, उसे ओरिजनल (मूल) रिटर्न कहा जाता है। अगर उसमें कोई गलती हो गई है तो करदाता उसमें बदलाव कर सकते हैं। इसे संशोधित रिटर्न कहा जाता है।
खास बातें
● विलंबित रिटर्न को 31 दिसंबर तक दाखिल किया जा सकता है।
● विलंबित रिटर्न दाखिल करने पर ब्याज और जुर्माना लगता है।
● यदि वार्षिक आय 5 लाख रुपये से अधिक है तो 5,000 रुपये और इससे कम आय होने पर 1,000 का जुर्माना चुकाना होगा।
● कर अदायगी बनने पर एक प्रतिशत प्रति माह के हिसाब से ब्याज देना होगा।
● संशोधित रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि आकलन वर्ष समाप्त होने से तीन महीने पहले तक होती है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए संशोधित रिटर्न 31 दिसंबर 2025 तक दाखिल किया जा सकता है।
● इसे कई बार दाखिल किया जा सकता है। कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं।
● यदि देय कर राशि बढ़ जाती है तो ब्याज और जुर्माना लग सकता है।