536 सेक्शन व 622 पेज का नया आयकर बिल आज लोकसभा में होगा पेश, आकलन और वित्तीय वर्ष की विदाई... अब टैक्स ईयर
🔴 अप्रैल से 31 मार्च तक चलेगा।
13 फरवरी 2025
नई दिल्ली। नया आयकर विधेयक बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश होगा। सरकार अब आयकर नियमों की भाषा बदल देगी। 60 साल से उपयोग हो रहे कई शब्द विदा हो जाएंगे। मिसाल के लिए वित्तीय वर्ष व आकलन वर्ष की जगह टैक्स ईयर का इस्तेमाल किया जाएगा। उन सभी शब्दों को हटाया जाएगा, जिन्हें कठिन माना गया है। नए बिल के नियम और प्रावधान एक अप्रैल, 2026 से लागू होंगे।
टैक्स ईयर का मतलब एक अप्रैल से अगले साल 31 मार्च की अवधि होगी। नए बिल में 16 शिड्यूल हैं। डिजिटल लेनदेन और क्रिप्टो एसेट्स की भी नई परिभाषा होगी। हालांकि, क्रिप्टो के अब तक कोई नियम नहीं हैं, इसलिए बिल में इसकी बाकायदा पूरी परिभाषा व नियम आ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के नियम नहीं बदले जाएंगे। फ्रिज बेनिफिट टैक्स जैसे गैरजरूरी प्रावधान हटाए हैं। विधेयक स्पष्टीकरण या प्रावधानों से मुक्त है, जिससे इसे पढ़ना और समझना आसान हो जाता है।
आयकर अधिनियम, 1961 में अत्यधिक उपयोग हुए शब्द 'फिर भी' को नए बिल में हटाया गया है। लगभग हर जगह भले ही शब्द का उपयोग किया गया है। 536 सेक्शन व 622 पेज के 23 अध्यायों वाला यह स्पष्ट व सरलीकृत आयकर विधेयक है। छह दशक पुराने कानून में 298 धाराएं व 14 शिड्यूल हैं। जब अधिनियम पेश किया था, तब इसमें 880 पेज थे।
नए आयकर कानून में जटिल प्रावधान हटने से विवाद घटेंगे, मुकदमेबाजी में आयेगी गिरावट
12 फरवरी 2025
नई दिल्ली। सरकार नया आयकर विधेयक जल्द ही संसद में पेश करने जा रही है। आम आदमी और करदाता के लिहाज से देखा जाए तो नया कानून छोटा और बेहद सरल होगा। इससे रिटर्न भरना और नोटिस का जवाब देना आसान हो जाएगा। इसमें जटिल प्रावधान हट जाएंगे, जिससे कर विवाद के 40 फीसदी मामलों में कमी आएगी।
अधिकारी मानते हैं कि नए कानून से मुकदमेबाजी में गिरावट आएगी। मौजूदा समय में आयकर से जुड़े सवा सात लाख से अधिक मामले लंबित हैं। इसके अतिरिक्त उच्च और सर्वोच्च न्यायालय स्तर पर भी बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं। इसमें से करीब 40 फीसदी मामले ऐसे हैं, जो पुराने कानून के प्रावधानों के कारण बने हैं, जिन्हें करदाता के लिखित जवाब या जुर्माने के आधार पर खत्म किया जा सकता है।
रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया आसान बनाई जाएगी
सूत्रों का कहना है कि नए कानून में आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को एकल पेपर के आधार पर आसान बनाया जाएगा। नियमों में इस तरह का बदलाव किया जाएगा, जिन्हें करदाता को समझने और एकल पेपर में जवाब देने और उससे जुड़ा कागज अपलोड करने में मदद मिलेगी। खासकर तौर पर पुरानी आयकर व्यवस्था में धारा-80 के तहत दी जाने वाली छूट से जुड़े कागजात को एकल पेपर में देने में आसानी होगी।
यहां होती है दिक्कत
कुछ प्रावधानों को सरकार ने अलग आदेश से हटाया है लेकिन कानून में ये बने हुए हैं। इस कारण से कई बार आयकर रिटर्न में गड़बडी दिखने पर विभाग खत्म हुए प्रावधानों के तहत भी नोटिस जारी कर देता। ऐसे में अपीलीय मामलों की संख्या बढ़ जाती है। सरकार ने संपत्ति, उपहार और बैंकिंग नकद लेनदेन पर कर समेत कई शुल्कों को समाप्त कर दिया है लेकिन इनके प्रावधान बने हुए हैं।
एकल पेपर व्यवस्था होगी
अभी तक के प्रावधानों में आयकरदाता से रिटर्न या किसी मामले में स्पष्टीकरण मांगा जाता है तो उसे पूरा रिकॉर्ड देना होता है। जबकि मामला एक बिंदु का होता है, जिसे एक पेपर के जरिए समझाया जा सकता है, लेकिन पूरा रिकॉर्ड मुहैया कराने पर दोनों पक्षों को समझने में दिक्कत होती है। इसलिए एकल पेपर की व्यवस्था को नए कानून के जरिए बढ़ाया जाएगा।
🔴 नए अधिनियम में होने वाले अन्य बदलाव
■ आयकर अधिनियम से जुड़े 23 अध्याय और 298 धाराओं की भाषा को सरल बनाया जा रहा है।
■ उन सभी अनावश्यक व गैर जरूरी प्रावधानों को खत्म किया जाएगा, जिनकी वजह से करदाता और आयकर विभाग के अधिकारी को समझने में परेशानी होती है।
■ आयकर अधिनियम की भाषा को इतना सरल किया जाएगा कि उसे अपनी देनदारी को समझने के लिए सीए या किसी वकील के पास नहीं भागना पड़ेगा।
■ करदाता रिटर्न दाखिल करते वक्त आसानी से अपने आयकर की गणना कर सकेगा।
■ मौजूदा कानून के प्रावधानों से करीब आधे प्रावधान नए आयकर कानून में होंगे, जिन्हें आम व्यक्ति को समझने और अनुपालन करने में आसानी होगी।
आयकर विधेयक अगले हफ्ते लोकसभा में आने के आसार,
छह दशक पुराने अधिनियम की जगह लेगा09 फरवरी 2025
नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि वह अगले सप्ताह लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश कर सकती हैं। यह विधेयक छह दशक पुराने आयकर अधिनियम का स्थान लेगा।
उच्च सदन में पेश होने के बाद बिल पर विचार-विमर्श के लिए संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को इस विधेयक को मंजूरी दे दी। रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक के बाद सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, संसदीय समिति की सिफारिशों के बाद यह विधेयक फिर से मंत्रिमंडल के पास जाएगा। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इसे दोबारा संसद में पेश किया जाएगा।
नए आयकर कानून लागू होने के समय पर सीतारमण ने कहा इसे अभी भी तीन महत्वपूर्ण चरणों से गुजरना है। नया आयकर विधेयक प्रत्यक्ष कर कानूनों को पढ़ने-समझने में आसान बनाएगा, अस्पष्टता दूर करेगा और मुकदमेबाजी को कम करेगा। वित्त मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि केवल असाधारण मामलों में शुल्क दरों को बढ़ाया जाएगा, लेकिन उन्हें समाप्त किया जाना चाहिए।
समीक्षा में घोषित उपायों से खपत और निजी निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। सीतारमण ने कहा, मुझे उद्योग जगत से जुड़े लोगों से जानकारी मिली है कि अप्रैल-जून के लिए एफएमसीजी के ऑर्डर पहले से ही बुक हो रहे हैं। और उद्योग खपत में संभावित सुधार के संकेत देख रहा है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक दोनों वृद्धि को गति देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए समन्वित तरीके से काम करना जारी रखेंगे।
नए आयकर विधेयक को मंजूरी, अगले हफ्ते संसद में होगा पेश
प्रत्यक्ष कर को समझना होगा आसान, कानून में लंबे वाक्य नहीं होंगे
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए आयकर बिल को मंजूरी दे दी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में इस बिल को संसद के मौजूदा सत्र में पेश करने की बात कही थी। सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद अगले हफ्ते इसे संसद में पेश किया जाएगा। संसद की मंजूरी के बाद यह छह दशक पुराने आयकर कानून की जगह लेगा। नए विधेयक का उद्देश्य प्रत्यक्ष कर कानून को समझने में आसीन बनाना और कोई नया कर बोझ नहीं डालना है। इसकी खास बात यह होगी कि प्रावधान और स्पष्टीकरण या लंबे वाक्य नहीं होंगे।
सूत्रों ने कहा कि अगले हफ्ते संसद में पेश किए जाने के बाद इसे संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। चालू बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी को समाप्त होगा। सत्र 10 मार्च को फिर से शुरू होगा और 4 अप्रैल तक चलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 के बजट में ही आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। सीबीडीटी ने समीक्षा की देखरेख करने और अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाने के लिए आंतरिक समिति बनाई थी, जिससे विवाद, मुकदमेबाजी कम होगी।
■ आयकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए 22 विशेष उप-समितियां बनाई गई हैं।
■ चार श्रेणियों में जनता के इनपुट और सुझाव आमंत्रित किए गए थे... ये श्रेणिया हैं भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, अनुपालन में कमी और अनावश्यक/अप्रचलित प्रावधान।
■ आयकर विभाग को आयकर अधिनियम की समीक्षा पर हितधारकों से 6,500 सुझाव मिले हैं।