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Thursday, February 27, 2025

राज्यों के सहयोग से सभी को पेंशन देने की तैयारी, पुरानी योजनायें को मिलाकर नई पेंशन योजना बनेगी

यूनिवर्सल पेंशन... स्वैच्छिक व अंशदायी होगी योजना, रोजगार का बंधन नहीं, लाभ लेने वालों को योजना में स्वयं देना होगा योगदान, सरकार नहीं देगी मदद

तैयारी... 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोग ले सकेंगे पेंशन का लाभ


नई दिल्ली। सरकार 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को पेंशन के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। यूनिवर्सल पेंशन योजना में सभी तरह के कामगारों को पेंशन मिलेगी। इसमें संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्र के कर्मचारी शामिल होंगे। फिलहाल, असंगठित क्षेत्र के लोगों जैसे निर्माण श्रमिक, घरेलू कर्मचारी और दिहाड़ी श्रमिक सरकार की किसी भी पेंशन के दायरे से बाहर हैं। यह योजना स्वैच्छिक और अंशदायी होगी। रोजगार से बंधी नहीं होगी। इसलिए, योजना हर किसी के लिए योगदान और पेंशन अर्जित करने के लिए खुली होगी।


श्रम मंत्रालय के मुताबिक, इसके लिए शेयरधारकों से जल्द राय-मशविरा किया जाएगा। योजना सभी वेतनभोगी कर्मचारियों और खुद रोजगार करने वालों लोगों के लिए भी होगी। हालांकि, इस नए प्रस्ताव और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जैसी मौजूदा योजनाओं के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि योगदान स्वैच्छिक आधार पर होगा और सरकार कोई योगदान नहीं देगी। इसका मतलब है कि योजना में 18 साल का कोई भी नागरिक स्वैच्छिक आधार पर शामिल हो सकता है, जो 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन लेना चाहता है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ मौजूदा योजनाओं को शामिल कर पेंशन/बचत ढांचे को सुव्यवस्थित करने का भी लक्ष्य है।



लाभ लेने वालों को योजना में स्वयं देना होगा योगदान, सरकार नहीं देगी मदद

असंगठित क्षेत्र के लिए सरकार की कई पेंशन योजनाएं हैं। इनमें अटल पेंशन योजना निवेशक की उम्र 60 वर्ष पूरी होने योजनाएं के बाद 1,000 से 1,500 रुपये का मासिक रिटर्न देती है। प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (पीएम-एसवाईएम) के तहत रेहड़ी-पटरी वालों, घरेलू कामगारों या मजदूरों सहित अन्य को लाभ मिलता है।


मौजूदा केंद्रीय योजनाओं में शामिल करने का लक्ष्य

■ इस पहल का उद्देश्य पूरे समाज में पेंशन कवरेज का विस्तार करते हुए प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए मौजूदा केंद्रीय योजनाओं को शामिल करना है। 

■ सरकार पीएम-एसवाईएम और एनपीएस ट्रेडर्स सहित विभिन्न पेंशन कार्यक्रमों को एक योजना में समेकित करने पर विचार कर रही है। ये वैकल्पिक कार्यक्रम 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के ग्राहकों को सरकारी फंडिंग के अनुरूप 55 से 200 रुपये तक के योगदान के आधार पर 3,000 रुपये की मासिक पेंशन प्रदान करते हैं।


अटल पेंशन भी हो सकती है शामिल

एकीकृत योजना में अटल पेंशन शामिल हो सकती है। प्रस्ताव में निर्माण उद्योग के श्रमिकों को पेंशन देने के लिए भवन व अन्य अधिनियम के जरिये एकत्र किए गए उपकर का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है। केंद्र सरकार राज्यों को अपनी पेंशन योजनाओं को इस कार्यक्रम में एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। इससे सरकारी योगदान का समान वितरण, बढ़ी हुई पेंशन व डुप्लिकेट लाभार्थी योजना से बाहर हो जाएंगे।

■ 22.7 करोड़ होंगे बुजुर्ग 2036 तक बुजुर्ग आबादी (60 वर्ष और उससे अधिक आयु) 22.7 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। है। यह कुल आबादी का 15 फीसदी है, जो 2050 तक बढ़कर 34.7 करोड़ यानी 20 फीसदी हो जाएगी।



श्रम और रोजगार मंत्रालय का मकसद हर नागरिक को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा देना

राज्यों के सहयोग से सभी को पेंशन देने की तैयारी, पुरानी योजनायें को मिलाकर नई पेंशन योजना बनेगी

नई दिल्ली । केंद्र सरकार सभी नागरिकों के लिए एक नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक इसका नाम यूनिवर्सल पेंशन स्कीम हो सकता है। इसका मकसद देश के हर नागरिक को वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।

जानकारों के अनुसार श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इस महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य शुरू कर दिया है। उनके मुताबिक यह अम्ब्रेला पेंशन योजना यानी सार्वजनिक पेंशन योजना स्वैच्छिक और अंशदायी होगी। इससे जुड़ना या न जुड़ना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर होगा और कोई भी नागरिक इस योजना में तय राशि का योगदान देकर पेंशन हासिल कर सकेगा। इसके अलावा यह किसी नौकरी या रोजगार से जुड़ी नहीं होगी।

बताया जा रहा है कि सरकार इस योजना को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के तहत लाने की योजना बना रही है। सरकारी विभागों द्वारा अभी इस योजना की रूपरेखा तय करने का काम हो रहा है। इसके बाद, मंत्रालय सभी संबंधित हितधारकों से चर्चा कर योजना को और बेहतर बनाने के सुझाव आमंत्रित करेगा।

भारत में सामाजिक सुरक्षा ज्यादातर निधि और वृद्धावस्था पेंशन पर निर्भर है। केंद्र सरकार गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को स्वास्थ्य बीमा भी प्रदान करती है। यह नई पेंशन योजना सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।


राज्यों को भी शामिल करेंगे: केंद्र सरकार राज्य सरकारों को भी अपनी पेंशन योजनाओं को इस नई योजना में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। इससे सरकारी योगदान सभी राज्यों में समान रूप से बंट जाएगा। पेंशन की राशि भी बढ़ेगी और लाभार्थियों की दोहरी गिनती नहीं होगी।


मौजूदा योजनाएं समायोजित की जाएंगी
प्रधानमंत्री-श्रम योगी मानधन योजना और व्यापारियों और स्वरोजगार के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना को इस नई योजना में मिलाया जा सकता है। ये दोनों योजनाएं स्वैच्छिक हैं। इनमें 60 साल के बाद हर महीने 3,000 की पेंशन मिलती है। इसके लिए अंशधारक को हर महीने 55 से 200 तक जमा करने होते हैं। यह रकम अंशधारक की उम्र पर निर्भर करती है। अंशधारक के योगदान के बराबर सरकार भी उतनी ही राशि का योगदान करती है। अटल पेंशन योजना को भी इस योजना में शामिल किया जा सकता है। यह योजना पीएफआरडीए के अधीन है। भवन और अन्य निर्माण श्रमिक अधिनियम के तहत वसूला गया सेस भी इस पेंशन योजना में इस्तेमाल किया जा सकता है। 


तेजी से बढ़ रही है वरिष्ठ नागरिकों की संख्या

भारत में वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष और उससे अधिक आयु) की संख्या 2036 तक 227 मिलियन या देश की आबादी का 15 फीसदी और 2050 तक 347 मिलियन या कुल आबादी का 20 फीसदी होने की उम्मीद है जो केंद्र सरकार द्वारा पहचाने गए लाभार्थियों को प्रदान की जाती है. इनमें से ज्यादातर गरीबी रेखा से नीचे हैं।


वृद्धि काफी चिंताजनक
एक अनुमान के मुताबिक, 2036 तक भारत में 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 22.7 करोड़ हो जाएगी। यह देश की कुल आबादी का 15% हिस्सा होगा। 2050 तक यह संख्या 34.7 करोड़ यानी कुल आबादी का 20% हिस्सा होने का अनुमान है। अमेरिका, यूरोप, कनाडा, रूस, चीन और अन्य देशों में सामाजिक बीमा प्रणाली कार्य करती है, जिसमें स्वास्थ्य और बेरोजगारी सुरक्षा के साथ सामाजिक सुरक्षा यानी पेंशन शामिल हैं।



राज्यों के सहयोग से सभी को पेंशन देने की तैयारी

नई दिल्ली । केंद्र सरकार सभी नागरिकों के लिए एक नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रही है। इसके लिए राज्य सरकारों को भी अपनी पेंशन योजनाओं को इस नई योजना में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। इससे सरकारी योगदान सभी राज्यों में समान रूप से बंट जाएगा। पेंशन की राशि भी बढ़ेगी और लाभार्थियों की दोहरी गिनती नहीं होगी।

बताया जा रहा है कि सरकारी विभागों द्वारा अभी इस योजना की रूपरेखा तय करने का काम हो रहा है। इसके बाद, मंत्रालय सभी संबंधित हितधारकों से चर्चा कर योजना को और बेहतर बनाने के सुझाव आमंत्रित करेगा। इसके बाद तैयार प्रस्ताव को केंद्र अपनी मंजूरी देगा। गौरतलब है कि भारत में सामाजिक सुरक्षा ज्यादातर निधि और वृद्धावस्था पेंशन पर निर्भर है। केंद्र सरकार गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को स्वास्थ्य बीमा भी प्रदान करती है। यह नई पेंशन योजना सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।

भारत में वरिष्ठ नागरिक की संख्या 2036 तक 227 मिलियन या देश की आबादी का 15 फीसदी और 2050 तक 347 मिलियन या कुल आबादी का 20 फीसदी होने की उम्मीद है जो केंद्र सरकार द्वारा पहचाने गए लाभार्थियों को प्रदान की जाती है। अनुमान के मुताबिक, 2036 तक भारत में 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 22.7 करोड़ हो जाएगी। यह देश की कुल आबादी का 15% हिस्सा होगा।


मौजूदा योजनाएं समायोजित की जाएंगी
प्रधानमंत्री-श्रम योगी मानधन योजना और व्यापारियों और स्वरोजगार के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना को इस नई योजना में मिलाया जा सकता है। ये दोनों योजनाएं स्वैच्छिक हैं। इनमें 60 साल के बाद हर महीने 3,000 की पेंशन मिलती है। इसके लिए अंशधारक को हर महीने 55 से 200 तक जमा करने होते हैं। यह रकम अंशधारक की उम्र पर निर्भर करती है। अंशधारक के योगदान के बराबर सरकार भी योगदान करती है। अटल पेंशन योजना को भी इस योजना में शामिल किया जा सकता है। यह योजना पीएफआरडीए के अधीन है। भवन और अन्य निर्माण श्रमिक अधिनियम के तहत वसूला गया सेस भी इस पेंशन योजना में इस्तेमाल किया जा सकता है।


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