अधिकारी से होगी गलत वेतन निर्धारण के कारण ज्यादा भुगतान की वसूली, सेवा पुस्तिका का हिस्सा बनाया जाएगा सहमति पत्र, शासनादेश जारी
लखनऊ। शासन ने प्रोन्नत व समयमान वेतनमान, एसीपी और अन्य लाभ मिलने पर नए सिरे से वेतन निर्धारण के मामलों में बढ़ती गलतियों पर सख्त रुख अपनाया है। विभागीय कार्मिक की गलत गणना से ज्यादा भुगतान के मामलों में वसूली न हो पाने की स्थिति में संबंधित कार्मिक से धन वसूला जाएगा। इस संबंध में उससे अनिवार्य रूप से सहमति पत्र लिया जाएगा। पहली बार इस सहमति पत्र को उसकी सेवा पुस्तिका से जोड़ा जाएगा। इस संबंध में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सोमवार को शासनादेश जारी कर दिए।
गलत वेतन निर्धारण की वजह से अधिक भुगतान की वसूली में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए संबंधित कार्मिकों की जवाबदेही तय की गई है। राज्य कर्मचारियों के वेतन का निर्धारण विभागाध्यक्ष, कार्यालय अध्यक्ष और लेखा संवर्ग के अधिकारी करते हैं। इस काम में गलती की वजह से जिन कर्मचारियों को ज्यादा भुगतान हो जाता है, उनसे वसूली बहुत मुश्किल से होती है। ऐसे मामलों में कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसे तीन मामलों में राज्य सरकार के विरुद्ध दिए गए फैसलों को मुख्य सचिव ने अत्यंत गंभीरता से लेने की हिदायत देते हुए कहा कि इससे राज्य सरकार के लिए असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। जबकि ये नियम पहले ही है कि ऐसे मामलों में ज्यादा धन की वसूली संबंधित अधिकारी से की जाएगी लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है।
इस पर सख्त रुख अपनाते हुए शासनादेश जारी किया गया है कि अब वेतन निर्धारण करने वाले संबंधित कार्मिक से अनिवार्य रूप से सहमति पत्र या अंडरटेकिंग ली जाएगी, जिसमें ये लिखा होगा कि वेतन निर्धारण के दौरान अधिक भुगतान होने पर उनसे वसूली की जाएगी।
सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए गए हैं कि ये सहमति पत्र अनिवार्य अंश होगा, जो कर्मचारी के वेतन निर्धारण के अवसर पर सेवा पुस्तिका में संलग्न किया जाएगा। वहीं, जानबूझकर कर ज्यादा वेतन निर्धारण सिद्ध होने पर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी। साथ ही जिस विभागाध्यक्ष ने संबंधित कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में सहमति पत्र को अविभाज्य हिस्सा नहीं बनाया तो उसके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी।