मध्यम वर्ग की मांग को स्वीकारते हुए आयकर छूट में राहत, देखें बजट में घोषित स्लैब और देय आयकर का गुणा गणित
करदाता को हर साल 80 हजार तक की बचत होगी
वित्त मंत्री ने कर छूट की सीमा बढ़ाकर 60 हजार रुपये की
नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मध्यम वर्ग की मांग को स्वीकारते हुए आयकर छूट में बड़ी राहत दी है। अब नई कर व्यवस्था के तहत 12.75 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं देना होगा। पहले इस आय पर 80,000 रुपये तक का कर देना पड़ता था, लेकिन नए कर स्लैब और रिबेट की अधिकतम सीमा बढ़ाने के बाद इसे पूरी तरह माफ कर दिया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से करीब 90 फीसदी करदाता नई व्यवस्था में आ सकते हैं। यह ध्यान देने वाली बात है कि वित्त मंत्री ने धारा 87ए के तहत कर छूट (रीबेट) की सीमा बढ़ाई है, न कि मूल छूट। कर विशेषज्ञों के अनुसार, धारा-87ए के तहत अभी नई कर व्यवस्था में सात लाख तक की आय वाले 25,000 रुपये तक कर छूट का दावा कर सकते हैं। अब इसकी सीमा इसे बढ़ाकर अधिकतम 60 हजार रुपये कर दी गई है। इस फैसले से 12 लाख तक की सालाना आय (मानक कटौती को जोड़कर) वाले कर के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हालांकि, यह छूट पूंजीगत लाभ जैसी विशेष श्रेणी की आय पर लागू नहीं होगी।
ऐसे समझें कर का गणित
13 लाख वालों को दोहरा फायदा
कर स्लैब में बदलाव से 13 लाख की आय वालों को बड़ा फायदा होगा। एक उनका टैक्स बचेगा, दूसरा मार्जिनल रिलीफ नियम से उनकी कर देनदारी कम बनेगी। इसे ऐसे समझें। नई कर व्यवस्था के पुराने स्लैब में 13 लाख की आय पर करीब एक लाख का टैक्स बनता है। वहीं, नए स्लैब में यह 75,000 रुपये हो जाएगा। इस तरह 25 हजार रुपये की बचत होगी।
वहीं, मार्जियल रिलीफ नियम के तहत करदाता को 75 हजार की जगह केवल 25 हजार रुपये ही कर चुकाना होगा, क्योंकि अगर कर योग्य आय कम बन रही है लेकिन टैक्स स्लैब के तहत कुल कर ज्यादा है तो इसमें से जो भी कम होगा, उतना ही कर देना होता है। 13 लाख की आय मामले में करदाता को 75 हजार की मानक कटौती भी मिलेगी, जिससे कुल छूट 12.75 तक हो जाएगी। केवल 25 हजार पर आय गणना होगी। यहां चूंकि स्लैब के हिसाब से कर 75,000 बन रहा है, जो कुल कर योग्य आय से अधिक है इसलिए करदाता को सिर्फ 25 हजार रुपये चुकाने होंगे।
मोबाइल बिल, मुफ्त सुविधाएं वेतन में जोड़ने का प्रस्ताव
बजट में वेतन संबंधित अधिनियम, अनुलाभ(पर्स) और वेतन के बदले लाभ की परिभाषा को बदलने का प्रस्ताव रखा गया है। अभी तक वेतन में शामिल 50 हजार रुपये तक के अनुलाभ को कर योग्य आय में शामिल नहीं किया जाता है। कर मुक्त भतों में कंपनी द्वारा दिए जाने वाले लैपटॉप और कंप्यूटर, टेलीफोन या मोबाइल बिल, मुफ्त घर, कार, रियायती नाश्ता, भोजन, मेडिकल सुविधा, क्लब की मेंबरशिप और यात्रा भता जैसे लाम शामिल होते हैं। अगर वेतन से अनुलाभहिस्सा खत्म होता है तो सीधे कर्मचारी की कुल वेतन का हिस्सा बन जाएगा। इस तरह उसकी कुल कर योग्य आय बढ़ जाएगी।
रिटर्न भरने की समयसीमा चार साल बढ़ी
वित मंत्री ने किसी भी आकलन वर्ष के लिए अपडेट आयकर रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा बढ़ाने की घोषणा की। आईटीआर दाखिल करने की समयसीमा को मौजूदा दो साल से बढ़ाकर चार साल करने का प्रस्ताव वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में रखा गया है।