2026 में प्रधानी का चुनाव, बढ़ेंगे गांव, करवट लेगी गांवों में राजनीति, अप्रैल से सूची पुनरीक्षण का शुरू होगा काम
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 से पहले नया परसीमन कराया जाएगा।
अप्रैल माह से मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य प्रारंभ होने की संभावना
ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत सदस्य संग प्रधान और प्रमुख के आरक्षित पदों पर होगा बदलाव
लखनऊ । त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 से पहले नया परसीमन कराया जाएगा। नई ग्राम पंचायतें जुड़ेंगी। इतना ही नहीं, आरक्षित पदों पर भी बदलाव के आसार हैं। अप्रैल माह से मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य प्रारंभ होने की संभावना जताई जा रही है। इससे पहले ग्राम पंचायत व क्षेत्र पंचायत का परिसीमन वर्ष 2011 में हुआ था। नए परिसीमन के बाद आगामी पंचायत चुनाव में सभी आरक्षित वर्ग के पदों के चक्र में बदलाव होगा। पिछले दो चुनावों में जिन पदों पर जिस वर्ग के प्रत्याशियों को आरक्षण का लाभ दिया गया था, अब वहां पर आरक्षण का चक्र बदल जाएगा।
पंचायत चुनाव में एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं को अधिकतम 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। पंचायती राज अधिनियम में प्रावधान है कि लगातार दो आम चुनावों के बाद आरक्षण का चक्र बदल जाएगा। ऐसे में वर्ष 2026 में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पंचायतों के आरक्षण का चक्र बदल जाएगा। वर्ष 2015 में इससे पहले परिसीमन कराया गया था।
दस साल पूरा होने के बाद नए सिरे से परिसीमन होगा। जिससे ग्राम पंचायतों की संख्या बढ़ जाएगी। जहां पर जिस वर्ग के प्रत्याशियों के लिए 2021 में आरक्षित थे। उसे समाप्त कर जनगणना के आधार पर नए सिरे से आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। त्रिस्तरीय पंचायतों में पदों का आरक्षण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी 25 प्रतिशत है तो वहां उस वर्ग का आरक्षण भी 25 प्रतिशत होगा।
शेष पदों में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों को 20 प्रतिशत रखा जाएगा। पदों का आरक्षण जिला मजिस्ट्रेट द्वारा विहित रीति से तैयार किया जाएगा। आरक्षण की गाइडलाइन के अनुसार पंचायत सदस्यों का आरक्षण ग्राम पंचायत के कुल पदों के आधार पर तैयार किया जाएगा। जबकि मुखिया के पदों का आरक्षण एक पंचायत समिति के अंदर आने वाली ग्राम पंचायतों के आधार पर तैयार किया जाएगा।
इसी प्रकार से पंचायत समिति के कुल सदस्यों के आधार पर तैयार किया जाएगा। ब्लॉक प्रमुख का आरक्षण प्रत्येक जिला के कुल पदों का 50 प्रतिशत होगा। इसी तरह से जिला पंचायत सदस्यों का आरक्षण हर जिले के कुल सदस्यों की संख्या का 50 प्रतिशत होगा।