केंद्रीय कर्मी पर FIR दर्ज करने के लिए राज्य की सहमति जरूरी नहीं ~ सुप्रीम कोर्ट
• केंद्रीय कर्मचारी के खिलाफ केंद्रीय कानून में एफआइआर दर्ज कर सकती है सीबीआइ
• सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का मुकदमा रद करने का फैसला
नई दिल्लीः सीबीआइ राज्य की सहमति के बगैर केंद्रीय कर्मचारी के खिलाफ केंद्रीय कानून में एफआइआर दर्ज कर सकती है। उसे एफआइआर दर्ज करने के लिए संबंधित राज्य सरकार की सहमति लेने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सीबीआइ को केंद्रीय कर्मचारी के खिलाफ केंद्रीय कानून के तहत एफआइआर दर्ज करने को संबंधित राज्य से सिर्फ इसलिए अनुमति लेने की जरूरत नहीं है कि वह कर्मचारी उस राज्य में काम करता है।
कुछ समय से कई राज्य सरकारों ने सीबीआइ को अपने राज्य में दी गई जांच की आम सहमति वापस ले ली है। इसलिए कई बार सीबीआइ द्वारा केस दर्ज करने पर विवाद अदालत की दहलीज तक जाते हैं। ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट का फैसला अहम है, क्योंकि इससे केंद्रीय कर्मचारियों के मामले में सीबीआइ के एफआइआर दर्ज करने का क्षेत्राधिकार स्पष्ट होता है।
न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार व राजेश बिंदल की पीठ ने आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के मामले में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा रद करने का आदेश खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है। पीठ ने किसी राज्य में नौकरी कर रहे केंद्रीय कर्मचारी के खिलाफ केंद्रीय कानून में एफआइआर दर्ज करने के सीबीआइ के क्षेत्राधिकार को स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट के ही दो पूर्व फैसलों का हवाला दिया है। बंगाल सरकार ने केंद्र के खिलाफ इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में एक मूल वाद दाखिल कर रखा है।
मुकदमे में बंगाल सरकार ने राज्य द्वारा सहमति वापस लिए जाने के बावजूद सीबीआइ द्वारा राज्य में केस दर्जकर जांच करने का मामला उठाया है। प्रारंभिक सुनवाई में ही केंद्र सरकार ने कहा था कि बंगाल सरकार के आरोप निराधार हैं। राज्य सरकार ने जिन मुकदमों का हवाला दिया है, उन्हें सीबीआइ ने या तो हाई कोर्ट के आदेश पर दर्ज किया है या फिर रेलवे के मामले में दर्ज किया है, जहां उसे क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
वैसे बंगाल सरकार का यह केस अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जिस मौजूदा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गत दो जनवरी को यह फैसला सुनाया है, उसमें सीबीआइ के केस का विरोध कर रहे रिश्वतखोरी के आरोपितों का कहना था कि आंध्र व तेलंगाना के अलग होने के बाद सीबीआइ को राज्य में क्षेत्राधिकार देने के लिए नया आदेश जारी होना चाहिए था, जो कि केस दर्ज होने की तारीख तक जारी नहीं हुआ था। इसलिए सीबीआइ का केस दर्ज करना गलत था।
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने एक समान मुद्दा उठाने वाले दो मामलों में फैसला सुनाते हुए केस रद कर दिया था। इसके खिलाफ सीबीआइ सुप्रीम कोर्ट आई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि पहले मामले में अभियुक्त ए. सतीश कुमार नांद्याल जिले में कुरनूल में सेंट्रल एक्साइज सुपरिंटेंडेंट था, जबकि दूसरा अभियुक्त चल्ला श्रीनिवासुलू रेलवे में एकाउंट्स असिस्टेंट था। दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा सात के तहत मामला दर्ज हुआ था।