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Tuesday, January 7, 2025

'अनधिकृत लेनदेन से हुए नुकसान की भरपाई बैंकों की जिम्मेदारी' – सुप्रीम कोर्ट

'अनधिकृत लेनदेन से हुए नुकसान की भरपाई बैंकों की जिम्मेदारी' – सुप्रीम कोर्ट 

It is banks responsibility to compensate for losses due to unauthorized transactions SC made important comment

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने एक मामले में ग्राहक के बैंक खाते से धोखाधड़ी और अनधिकृत लेनदेन के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को जिम्मेदार ठहराया।


सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि खातों से अनधिकृत लेनदेन की सूचना तुरंत देने पर बैंकों को नुकसान की भरपाई करनी होगी। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि बैंक अपने ग्राहकों को उनके खातों से अनधिकृत लेनदेन से बचाने की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकते हैं। खाताधारकों को भी अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह देते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे ओटीपी किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा न करें।


जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने एक मामले में ग्राहक के बैंक खाते से धोखाधड़ी और अनधिकृत लेनदेन के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को जिम्मेदार ठहराया। तीन जनवरी के आदेश में पीठ ने कहा कि ग्राहक के एसबीआई खाते से संबंधित सभी लेनदेन अनधिकृत व धोखाधड़ी वाले पाए गए। जहां तक ऐसे लेनदेन का संबंध है तो यह बैंक की जिम्मेदारी है। बैंक को सतर्क रहना चाहिए। बैंक के पास ऐसे लेनदेन का पता लगाने और रोकने के लिए सर्वोत्तम तकनीक उपलब्ध है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6 जुलाई, 2017 का सर्कुलर स्थिति को और स्पष्ट करता है। 


पीठ एसबीआई की ओर से गोहाटी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने माना, लेनदेन धोखाधड़ीपूर्ण व अनधिकृत था और ग्राहक ने तुरंत इसकी शिकायत की थी, इसलिए हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप करना सही नहीं है। चूंकि लेनदेन की सूचना बैंक को 24 घंटे के अंदर दी गई थी, इसलिए कोर्ट ने एसबीआई के इस तर्क को खारिज कर दिया कि ग्राहक के प्रति उसकी कोई देयता नहीं है।


ग्राहक भी बरतें सतर्कता
पीठ ने ग्राहकों से सतर्कता बरतने और किसी तीसरे व्यक्ति के साथ ओटीपी व पासवर्ड साझा न करने की अपेक्षा की। पीठ ने कहा कि कुछ मामलों के तथ्यों और परिस्थितियों में ग्राहक को भी किसी न किसी तरह से लापरवाही बरतने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।


गोहाटी हाईकोर्ट ने राशि वापस करने को कहा था
गोहाटी हाईकोर्ट ने ग्राहक के बैंक खाते से हुए अनधिकृत लेनदेन के लिए एसबीआई को जिम्मेदार ठहराया था। साथ ही एसबीआई को राशि वापस करने का आदेश दिया था। एकल पीठ के फैसले को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सही ठहराया था, जिसे एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।


धोखाधड़ी कर ग्राहक के बैंक खाते से निकाले थे 94,204 रुपये
सुप्रीम कोर्ट ने अनधिकृत लेनदेन के जिस मामले में बैंकों की जिम्मेदारी तय की है, उसमें गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ग्राहक को राशि लौटाने का आदेश दिया था, जिसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने ग्राहक के बैंक खाते से हुए अनधिकृत लेनदेन के लिए एसबीआई को जिम्मेदार ठहराया था। ग्राहक के बैंक खाते से 94,204.80 रुपये अनधिकृत लेनदेन हुआ था।


इस मामले के मुताबिक ग्राहक ने ऑनलाइन शॉपिंग की और बाद में खरीदे सामान को वापस करने की कोशिश की। उसे रिटेलर के कस्टमर केयर के रूप में खुद को पेश करने वाले एक धोखेबाज का फोन आया। निर्देशों का पालन करते हुए उसने एक मोबाइल एप डाउनलोड किया। इसके चलते उसके बैंक खाते से 94,204.80 रुपये का अनधिकृत लेनदेन हुआ। एसबीआई ने ग्राहक के ओटीपी और एम-पिन साझा करने के कारण लेन-देन को अधिकृत बताते हुए जिम्मेदारी लेने से इन्कार कर दिया।


वहीं, ग्राहक ने दावा किया कि उसने कभी भी ओटीपी या एम-पिन जैसी संवेदनशील जानकारी साझा ही नहीं की। धोखाधड़ी रिटेलर की वेबसाइट पर डाटा उल्लंघन के कारण हुई, जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था। 


आरबीआई का सर्कुलर यह कहता है
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आरबीआई के 6 जुलाई, 2017 के सर्कुलर के खंड 8 और 9 का हवाला दिया था। इसके अनुसार, धोखाधड़ी व अनधिकृत लेन-देन की तुरंत रिपोर्ट की जाती है तो तीसरे पक्ष के डाटा उल्लंघन के कारण ग्राहक के बैंक खाते से हुए अनधिकृत लेन-देन के लिए ग्राहकों पर शून्य देयता हो जाती है।

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