बजट में मध्यवर्ग को आयकर में राहत दे सकती है केंद्र सरकार, 15 लाख तक की सालाना आय वालों को फायदा मिलने की उम्मीद
27 जनवरी 2025
आम आदमी और नौकरीपेशा लोगों को आगामी बजट से काफी उम्मीदें हैं। संकेतों से स्पष्ट है कि इस बार सरकार मध्यवर्ग को केंद्र में रखकर बजट पेश करेगी, जिसमें करों का बोझ मध्यवर्ग से कम होने की बड़ी संभावना है।
नई कर व्यवस्था (न्यू टैक्स रिजीम) को ज्यादा आकर्षक बनाने का भी ऐलान हो सकता है। 20 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले लोगों को करों से थोड़ी राहत मिलेगी। खास तौर पर 10-15 लाख की सालाना आय वाले लोगों ज्यादा लाभ मिल सकता है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी। बजट से पूर्व विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों व विशेषज्ञों के साथ चर्चा के दौरान आयकर का मुद्दा उठा। इसमें सरकार को सुझाव दिया गया कि 20 लाख रुपये तक की सालाना आय श्रेणी में आने वाले लोगों को कर से राहत दी जानी चाहिए।
इसके पीछे तर्क दिया गया कि महंगाई लगातार बढ़ रही है, इससे लोगों की बचत काफी कम हो गई है। लोग अपनी बचत का बड़ा हिस्सा अपनी जरूरतों पर खर्च कर रहे हैं। इसलिए अगर प्रति व्यक्ति खर्च की क्षमता को बढ़ाना है तो उसके लिए करदरों में छूट दी जाए, ताकि लोगों के पास अतिरिक्त बचत हो। अगर लोगों के हाथ में धनराशि अधिक होगी तो उससे बाजार में मांग पैदा होगी, जिससे अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। सूत्र बताते हैं कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए सरकार से जुड़े अहम लोग भी मानते हैं कि लोगों को राहत दिए जाने की जरूरत है।
यहां मिल सकती है रियायत
■ सरकार न्यू टैक्स रिजीम के तहत 20 लाख की आय के स्लैब में परिवर्तन कर सकती है
■ पांच प्रतिशत के कर स्लैब में आठ या नौ लाख की सालाना आय को शामिल किया जा सकता है
■ 75 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढाकर एक लाख रुपये किया जा सकता है
■ पुरानी कर व्यवस्था के तहत 80 सी के तहत डेढ़ लाख तक का निवेश करने पर कर छूट मिलती है, जिसका दायरा बढ़ सकता है
■ आयकर रिटर्न भरने से जुड़ी प्रक्रिया सरल हो सकती है
सात लाख तक की आय पर कोई कर नहीं
मौजूदा समय में नई कर व्यवस्था के तहत 15 लाख रुपये से अधिक सालाना आय पर 30 फीसदी कर लगता है। 12 से 15 लाख की सालाना आय पर 20 फीसदी तक लगता है। वहीं, 10 से 12 लाख के सालाना स्लैब में आने वाले लोगों पर 15 फीसदी और सात से 10 लाख की सालाना आय के दायरे में आने वाले लोगों पर 10 फीसदी आयकर लिया जाता है। वहीं, तीन से सात लाख रुपये की सालाना आय की श्रेणी में आने वाले लोगों पर पांच फीसदी आयकर लगता है
वेतन आयोग गठित करने के फैसले से बढ़ी उम्मीद
बजट 2025 : नई कर प्रणाली होगी आकर्षक, जुड़ेंगे नए टैक्स स्लैब, छूट का बढ़ेगा दायरा, मानक कटौती की सीमा 75 हजार से बढ़ा कर एक लाख किया जाना संभव
18 जनवरी 2025
नई दिल्ली। पुरानी कर प्रणाली को खत्म करने के इरादे से सरकार आगामी आम बजट में नई कर प्रणाली को करदाताओं के लिए और आकर्षक बनाएगी। सरकार की योजना नई प्रणाली में नए टैक्स स्लैब जोड़ने, आयकर मुक्त आय की सीमा के साथ मानक कटौती की सीमा में भी बढ़ोतरी करने की है। सरकार इसी आम बजट में पुरानी कर प्रणाली को आगामी वित्तीय वर्ष या इसके एक साल बाद खत्म करने पर भी विचार कर रही है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, साल 2020 के आम बजट में पुरानी कर प्रणाली को ही खत्म करने के लिए नई कर प्रणाली की शुरुआत की गई थी। तब सरकार की योजना इस प्रणाली के जरिये कर अदायगी को आसान बनाने के साथ-साथ पुरानी कर प्रणाली से मुक्ति पाने की थी। शीर्ष स्तर पर इसी आम बजट में पुरानी कर प्रणाली को खत्म करने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।
सरकारी सूत्र का कहना है कि अगर इस आम बजट में इस आशय की घोषणा नहीं हुई तो अगले साल पेश होने वाले आम बजट में निश्चित रूप से पुरानी कर प्रणाली को खत्म करने की घोषणा की जाएगी।
इस बार के बजट में करदाताओं के लिए क्या?
आम बजट में सरकार का फोकस नई कर प्रणाली है। सरकार कर मुक्त आय का दायरा बढ़ाने और 20 प्रतिशत कर के दायरे को 12-15 लाख से बढ़ा कर 12-20 लाख करने पर विचार कर रही है। इसके अलावा सरकार की योजना मानक कटौती का दायरा 75 हजार रुपये से बढ़ा कर एक लाख रुपये करने की है।
गौरतलब है कि बीते साल जुलाई में पेश मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पूर्ण बजट में कर मुक्त आय (3 लाख) की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया था। हालांकि तब 5 फीसदी आय कर वाले स्लैब को 3 से 6 लाख से बढ़ा कर 3 से 7 लाख रुपये कर दिया गया था। तब मानक कटौती का दायरा 50 हजार से बढ़ा कर 75 हजार रुपये किया गया था।
वेतन आयोग गठित करने के फैसले से भी मिला संकेत
कर राहत का संकेत सरकार के बृहस्पतिवार को अचानक 8वां वेतन आयोग गठित करने के फैसले से भी मिला। अगले साल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मियों के वेतन में 30 से 40 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। ऐसे में बिना कर राहत के केंद्रीय कर्मियों को कोई विशेष लाभ नहीं होगा। इसके अलावा बीते लोकसभा चुनाव में औसत प्रदर्शन के बाद सरकार ने मध्य वर्ग और निम्न मध्य वर्ग को राहत देने की योजना बनाई थी।