लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार ने 17 दिसंबर को हर साल की तरह पेंशनर दिवस मनाने का निर्देश जारी किया है। वित्त विभाग की विज्ञप्ति संख्या-39/2024 के अनुसार, इस दिन सभी जिलों में पेंशनरों की समस्याओं के समाधान के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे स्वयं या उनके द्वारा नामित अपर जिलाधिकारी या मुख्य विकास अधिकारी कार्यक्रम की अध्यक्षता करें।
इसके साथ ही, सभी विभागाध्यक्षों को पेंशनर दिवस के कार्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल होने और पेंशनरों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण की जिम्मेदारी दी गई है। सरकार ने निदेशक, पेंशन, और कोषागार अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे इस तिथि का व्यापक प्रचार-प्रसार करें ताकि अधिक से अधिक पेंशनर अपनी समस्याएं प्रस्तुत कर सकें।
पेंशनरों की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी:
पेंशनरों ने इस कदम का स्वागत किया है लेकिन सवाल यह है कि क्या यह दिन सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा या पेंशनरों की वास्तविक समस्याओं का समाधान होगा? पेंशनरों का कहना है कि वे साल भर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भटकते हैं। पेंशन भुगतान में देरी, मेडिकल बिलों का भुगतान, और पेंशन राशि में अनियमितता जैसी समस्याएं उनके लिए आम हो चुकी हैं।
हालांकि सरकार ने पेंशनर दिवस के लिए स्पष्ट निर्देश दिए हैं, लेकिन पूर्व वर्षों के अनुभव बताते हैं कि यह दिन कई बार औपचारिकता तक ही सीमित रह जाता है। जिलाधिकारियों की अनुपस्थिति और समस्याओं के समाधान में देरी पेंशनरों को मायूस करती है।
सरकार ने इस साल व्यापक प्रचार और त्वरित समाधान की बात की है। ऐसे में देखना होगा कि जिलाधिकारी और विभागीय अधिकारी इस दिन को सिर्फ एक रस्म अदायगी न बनाकर, इसे पेंशनरों की उम्मीदों पर खरा उतरने वाला सार्थक मंच बना पाते हैं या नहीं।