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Friday, December 27, 2024

15 लाख आय वालों को आयकर में मिल सकती है बड़ी राहत, मध्यम वर्ग को राहत देने और अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार उठा सकती है कदम

15 लाख आय वालों को आयकर में मिल सकती है बड़ी राहत, मध्यम वर्ग को राहत देने और अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार उठा सकती है कदम


नई दिल्ली :  मध्यम वर्ग को राहत देने और अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में 15 लाख रुपये सालाना कमाने वाले व्यक्तियों को आयकर में बड़ी राहत दे सकती है। सरकार से जुड़े दो अधिकारियों ने बताया कि इस कदम से लाखों करदाताओं को फायदा होगा। इसका लाभ सबसे ज्यादा उन लोगों को मिलेगा, जो शहर में रहते हैं और महंगी जीवन लागत के बोझ से परेशान हैं।


फिलहाल जो व्यवस्था है, उसके तहत अगर आयकरदाता नई कर प्रणाली का विकल्प चुनता है तो इसमें घर के किराए जैसी छूट नहीं मिलती है। इस प्रणाली के तहत तीन लाख रुपये से 15 लाख रुपये की वार्षिक आय पर पांच प्रतिशत से 20 प्रतिशत के बीच आयकर लगता है। इससे अधिक आय पर 30 प्रतिशत कर लगता है। अगर व्यक्ति पुरानी आयकर प्रणाली चुनता है तो उसे घर के किराए और बीमा प्रीमियम पर छूट मिलती है। सूत्रों का कहना है कि एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में इसका एलान किया जा सकता है। हालांकि जब इस संबंध में वित्त मंत्रालय से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।



लोगों के हाथों में अधिक पैसे से अर्थव्यवस्था को गति

अधिकारियों से जब यह पूछा गया कि कर में राहत देने से कितने राजस्व की हानि होगी तो उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। हालांकि उनमें से एक ने कहा कि कर दरों को कम करने से अधिक लोग नई कर प्रणाली को चुनेंगे, जो कम जटिल है। भारत को अपने आयकर का बड़ा हिस्सा कम से कम एक करोड़ रुपये सालाना कमाने वाले लोगों से मिलता है। उनके लिए आयकर की दर 30 प्रतिशत है। 

विशेषज्ञों का मानना है कि मध्यम वर्ग के हाथों में अधिक पैसा देने से अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थ है, लेकिन जुलाई से सितंबर के बीच आर्थिक वृद्धि दर पिछली सात तिमाहियों में सबसे धीमी रही है। माना जा रहा है कि उच्च खाद्य मुद्रास्फीति भी साबुन और शैंपू से लेकर कारों और दोपहिया वाहनों तक की मांग को कम कर रही हैं। इसका असर विशेष तौर पर शहरी क्षेत्रों में देखने को मिला है।

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