10 विकास प्राधिकरणों ने कर्मियों का पेंशन अंशदान दबाया, स्पष्ट आदेश के बाद भी मनमानी, खामियाजा भुगतेंगे कर्मी
लखनऊ विकास प्राधिकारण ने दबा रखे हैं 10.47 करोड़ रुपये
लखनऊ। राज्य सरकार के स्पष्ट आदेश के बाद भी पेंशन अंशदान जमा करने में विभागों द्वारा लगातार मनमानी का खुलासा विकास प्राधिकरणों में हो रहा है। प्रदेश के 10 विकास प्राधिकरण ऐसे हैं, जहां कर्मियों के पेंशन अंशदान जमा नहीं किया जा रहा है।
शासन को इसकी जानकारी होने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की गई है। विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि वे अपने स्तर पर इसकी समीक्षा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि हर हाल में तय समय पर पेंशन अंशदान जमा किया जाए, जिससे उस पर मिलने वाले ब्याज का लाभ कर्मियों को मिल सके।
विकास प्राधिकरणों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि बकाया पेंशन अंशदान तत्काल प्रभाव से जमा करा दिया जाए, जिससे कर्मियों को सेवानिवृत्त के समय उन्हें इसका पूरा लाभ मिल सके। शासन द्वारा इसके साथ ही प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों से यह भी रिपोर्ट मांगी है कि उनके यहां नई पेंशन योजना के दायरे में कितने कर्मचारी आ रहे हैं। इन कर्मियों की सेवानिवृत्त कब से शुरू हो रही है। ऐसे कर्मियों का एनपीएस खाता कहां खोला गया है। यह भी देखा जाए कि एनपीएस का पैसा राष्ट्रीयकृत बैंकों में ही जमा किया जाए, जिससे इसमें किसी तरह के हेराफेरी की संभावना न रहने पाए। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पेंशन अंशदान तय समय पर अनिवार्य रूप से जमा किया जाए।
यही हाल रहा तो रुक जाएगी पेंशन
आवास विभाग लगातार विकास प्राधिकरणों को यह निर्देश दे रहा है कि कार्यरत कर्मियों का पेंशन अंशदान तय समय में उनके न्यू पेंशन स्कीम खाते में जमा किया जाए। प्रमुख सचिव आवास पी. गुरुप्रसाद ने हाल ही में विकास प्राधिकरणों के कार्यों की समीक्षा में पाया है कि पेंशन अंशदान जमा करने में मनमानी हो रही है।
प्रदेश के 10 विकास प्राधिकरण की स्थिति सबसे खराब मिली। बागपत 47 लाख, रायबरेली 1.64 करोड़, गाजियाबाद 17.67 करोड़, गोरखपुर 2.86 करोड़, लखनऊ 10.74 करोड़, मुजफ्फरनगर 35 लाख, रामपुर 26 लाख, सहारनपुर 45 लाख, चित्रकूट दो लाख और उन्नाव-शुक्लागंज द्वारा 2.14 करोड़ पेंशन अंशदान का जमा नहीं किया है। इससे कर्मियों की पेंशन फंस जाएगी।