विधवा पुत्री भी अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार, हाईकोर्ट ने कहा, विवाहित या विधवा के आधार पर दावे को खारिज नहीं कर सकते
बीएसएनएल के मृत कर्मचारी की विधवा पुत्री की याचिका पर दिया फैसला
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सेवा मामले में दिए एक अहम फैसले में कहा कि किसी कर्मचारी के सेवारत रहते मृत्यु होने के बाद उसकी विधवा पुत्री भी अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार है। कोर्ट ने इस कानूनी नजीर के साथ बीएसएनएल के महाप्रबंधक टेलीकॉम के कार्यालय में तैनात रहे मृतक कर्मचारी की विधवा पुत्री के अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर दो माह में गौर करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि उसके दावे को महज इस आधार पर खारिज नहीं किया जाएगा कि वह विवाहित या विधवा है। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह फैसला पुनीता भट्ट उर्फ पुनीता धवन की याचिका को मंजूर करके दिया।
याची ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, लखनऊ के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने की अजर्जी को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था की वह मृतक कर्मी की विधवा पुत्री है। याची ने भारत संचार निगम लिमिटेड के उस निर्देश को भी चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि मृतक कर्मचारी की विधवा पुत्री अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं कर सकती।
कोर्ट ने कहा कि कानूनी व्यवस्था के तहत विधवा पुत्री भी पुत्री की श्रेणी में आती है। ऐसे में बीएसएनएल, याची की अनुकंपा नियुक्ति की अर्जी पर गौर करने से महज इस आधार पर इन्कार नहीं कर सकता कि पिता की मृत्यु के समय वह विधवा पुत्री थी। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश को रद्द कर दिया।