उम्र तय करने के लिए आधार कार्ड वैध दस्तावेज नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र (TC) को ही बताया आधिकारिक दस्तावेज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि उम्र तय करने के लिए आधार कार्ड वैध दस्तावेज नहीं है। आयु निर्धारण के लिए स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र ही आधिकारिक दस्तावेज माना जाएगा। इसी के साथ शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें सड़क हादसे के पीड़ित को मुआवजा देने के लिए उसकी उम्र तय करने के लिए आधार कार्ड को स्वीकार किया गया था।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि किशोर न्याय मामला 2 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत मृतक की आयु का निर्धारण स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में उल्लिखित जन्मतिथि से किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि हमने पाया कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने अपने परिपत्र संख्या 8/2023 के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 20 दिसंबर, 2018 को जारी आदेश के संदर्भ में कहा है कि आधार कार्ड का उपयोग पहचान स्थापित करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है।
जब उम्र तय करने की बात आई तो शीर्ष अदालत ने दावेदार-अपीलकर्ताओं की दलील को स्वीकार कर लिया और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) के फैसले को बरकरार रखा, जिसने मृतक की उम्र की गणना उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के आधार पर की थी।