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Thursday, October 10, 2024

RBI का फैसला: तय समय से पहले कर्ज चुकाने पर शुल्क नहीं लगेगा


RBI का फैसला: तय समय से पहले कर्ज चुकाने पर शुल्क नहीं लगेगा


नई दिल्ली । बैंकों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और एनबीएफसी से कर्ज लेने वाले लोगों को आरबीआई ने बड़ी राहत दी है। रिजर्व बैंक ने फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को समय से पहले बंद करने पर लगने वाले शुल्क/जुर्माने को खत्म कर दिया है। यानी अब बैंक और एनबीएफसी अपने ग्राहकों से फोरक्लोजर चार्ज या प्री-पेमेंट पेनल्टी नहीं वसूल सकेंगे। 


आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। बुधवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि इस फैसले का लाभ अभी व्यक्तिगत श्रेणी में कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलेगा। दास ने कहा कि अभी कई एनबीएफसी फ्लोटिंग दर के लोन को तय समय से पहले बंद करने पर जुर्माना या शुल्क वसूल रहे हैं। ये लोन अलग-अलग लॉक-इन अवधि के होते हैं, जिन्हें कभी भी बंद किया जा सकता है।


छोटे-मझोले उद्यमियों को भी लाभ

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि बाद में इस फैसले का विस्तार किया जाएगा और छोटे-मझोले उद्यमों को दिए जाने वाले कर्ज भी फोरक्लोजर चार्ज या प्री-पेमेंट पेनाल्टी वसूलने की अनुमति नहीं होगी। जल्द ही इस दिशा में सार्वजनिक परामर्श के लिए एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया जाएगा।


दास ने एनबीएफसी को चेताया

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने उन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को चेतावनी दी, जो तेजी से आगे बढ़ने के लिए 'गलत' तरीके अपना रही हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें अनुचित कारोबारी व्यवहार को बढ़ावा मिल रहा है। दास आगाह करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक इन पर करीबी नजर रख रहा है और जरूरत पड़ने पर उचित कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा। आरबीआई यह जानना चाहता है कि अगर ग्राहकों से वसूली जा रही ब्याज दरें काफी अधिक हैं, तो इसका मतलब साफ है कि नियमों का उल्लंघन हो रहा है।


प्रमुख ब्याज दर में बदलाव नहीं

आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार दसवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। रेपो दर के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है। हालांकि, आरबीआई ने संकेत दिए हैं कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि पर नजर रखते हुए जरूरत के हिसाब रेपो दर को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

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