यूपी: सम्पत्ति के खुलासे में चतुर्थ श्रेणी कर्मी आगे और 'बड़े साहब' हुए पीछे
• प्रथम श्रेणी के 78 प्रतिशत जबकि चतुर्थ श्रेणी के 81 प्रतिशत ने घोषित की संपत्ति
• अब तक संपत्ति बताने वालों में द्वितीय के 80 और तृतीय श्रेणी के हैं 78 प्रतिशत
लखनऊ: राज्यकर्मियों की चल- अचल संपत्ति का ब्योरा जुटाने को लेकर गंभीर योगी सरकार के कड़े रुख का असर 'बड़े साहब' से ज्यादा चतुर्थ श्रेणी कर्मियों में देखने को मिल रहा है। मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति की जानकारी देने में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों से कहीं ज्यादा हीला-हवाली अन्य श्रेणी के अधिकारी बाबू कर रहे हैं। प्रथम श्रेणी के जहां 78 प्रतिशत अधिकारियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है वहीं चतुर्थ श्रेणी के 81 प्रतिशत कर्मी संपत्ति की जानकारी दे चुके हैं। राज्य में सर्वाधिक तृतीय श्रेणी के कर्मी हैं लेकिन संपत्ति बताने में वे भी चतुर्थ श्रेणी कर्मियों से पीछे हैं।
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत प्रदेश के सभी श्रेणियों के 8,55,514 राज्यकर्मियों को अब अपनी चल-अचल संपत्ति का वार्षिक व्योरा मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से देना है। वैसे तो नियमानुसार पिछले वर्ष 2023 की संपत्ति का ब्योरा इस वर्ष 31 जनवरी तक देना था लेकिन कार्मिक विभाग के तमाम आदेशों के बाद भी ज्यादातर कर्मी संपत्ति बताने के लिए आगे नहीं आए। ऐसे में पिछले माह सरकार ने संपत्ति न बताने वाले राज्यकर्मियों का जब अगस्त का वेतन रोकने का निर्णय किया तब कहीं 74 प्रतिशत ने अपनी संपत्ति बताई। मंगलवार को सरकार ने 31 अगस्त तक संपत्ति न बताने वाले 26 प्रतिशत राज्यकर्मियों को 30 सितंबर तक का एक और अंतिम मौका देते हुए अगस्त का वेतन तो दे दिया लेकिन इस दरमियान जानकारी न देने वालों को सितंबर का वेतन नहीं मिलेगा।
गौर करने की बात तो यह है कि इस संबंध में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से स्पष्ट आदेश होने के बावजूद राज्य के वरिष्ठ अधिकारी ही अपनी चल-अचल संपत्ति बताने में हीला-हवाली कर रहे हैं। स्थिति यह है कि प्रथम व द्वितीय श्रेणी के 11,112 अधिकारियों ने अब तक अपनी संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर नहीं दी है। इसी तरह तृतीय श्रेणी में आने वाले 1,29,790 लिपिक (बाबू), सिपाही आदि ने भी संपत्ति नहीं बताई है। चतुर्थ श्रेणी के 2.07 लाख अनुसेवक, चालक, माली, सफाईकर्मियों आदि में से 39,023 को ही अब संपत्ति का ब्योरा पोर्टल पर देना है। पोर्टल पर 7,551 राज्यकर्मी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी श्रेणी ही नहीं बताई है। इनमें से 2261 ने ही अपनी संपत्ति के बारे में बताया है।
अभी 22 प्रतिशत राज्यकर्मियों ने नहीं बताई संपत्ति
प्रदेश के 1,85,215 (22 प्रतिशत) राज्यकर्मियों ने अब तक अपनी संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर नहीं दी है। तीन सितंबर तक 78 प्रतिशत राज्यकर्मियों ने संपत्ति का ब्योरा दिया है। जिन प्रमुख विभागों के ज्यादा कार्मिकों ने अब तक संपत्ति नहीं बताई है उनमें अब शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, राजस्व आदि हैं। बेसिक शिक्षा के 10,031 कार्मिकों में से 3622 (36 प्रतिशत) ने ही अब तक संपत्ति की जानकारी दी है। इसी तरह गृह के 3,27,495 में से 2,48,311 (75 प्रतिशत), उद्योग के 3190 में से 1775 (55 प्रतिशत), चिकित्सा स्वास्थ्य के 78,353 में से 53,083 (67 प्रतिशत), राजस्व के 64,078 में से 41,873 (65 प्रतिशत) कार्मिकों ने ही संपत्ति की जानकारी दी है।
यूपी में कर्मियों को संपत्ति का ब्योरा देने के लिए मिला एक माह का समय, 2.45 लाख कर्मियों के वेतन का रास्ता हुआ साफ
🔴 30 सितंबर तक पोर्टल पर दर्ज कर सकेंगे संपत्ति का विवरण
🔴 74% कर्मियों ने 31 अगस्त तक दर्ज की थी संपत्ति की जानकारी
🔴 2.45 लाख कर्मियों के वेतन का रास्ता हुआ साफ
🔴 8.4 लाख राज्यकर्मियों में से 6.02 लाख कर्मियों ने ही दिया है संपत्ति का ब्योरा
लखनऊ : प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मियों को चल-अचल संपत्ति का ब्योरा मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज करने के लिए एक माह का और समय दे दिया है। अब राज्य कर्मी 30 सितंबर तक अपनी संपत्ति का ब्योरा पोर्टल पर दर्ज कर सकेंगे। 31 अगस्त तक 74 प्रतिशत कर्मियों ने ही अपना विवरण भरा था। 26 प्रतिशत कर्मचारी ऐसे हैं जिन्होंने संपत्ति की जानकारी नहीं दी। एक माह का समय मिलने से संपत्ति न बताने वाले लगभग 2.45 लाख कार्मिकों को अगस्त माह का वेतन मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
दरअसल, सरकार ने राज्य कर्मियों को संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने की समय सीमा 31 अगस्त तय की थी। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से इसका शासनादेश जारी करते हुए कहा गया था कि मानव संपदा पोर्टल पर चल-अचल संपत्ति का ब्योरा 31 अगस्त तक आनलाइन दर्ज न करने वाले राज्य कर्मियों को अगस्त माह का वेतन नहीं दिया जाएगा। इस आदेश के बाद 8,46,640 कर्मियों में से 6,02,075 ने ही अपनी संपत्तियों की जानकारी दर्ज की थी। कुल 2,44,565 कर्मियों ने तय समय तक अपना ब्योरा दर्ज नहीं किया था। मुख्य सचिव के आदेश के अनुसार इन कर्मियों का अगस्त माह का वेतन रोकने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।
मंगलवार को प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मियों के लिए चल-अचल संपत्ति का ब्योरा पोर्टल पर दर्ज करने की समय सीमा एक माह के लिए बढ़ा दी है। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि करीब 26 प्रतिशत राज्य कर्मियों ने संपत्ति की जानकारी अभी तक नहीं दी है। अब इन्हें 30 सितंबर तक दर्ज करने का मौका दे दिया गया है।
राज्यकर्मी अब 30 सितम्बर तक दे सकेंगे संपत्तियों का ब्योरा, योगी सरकार ने दी एक माह की मोहलत
लखनऊ : राज्य सरकार ने मानव संपदा पोर्टल पर राज्य कर्मियों को संपत्तियों का ब्योरा देने के लिए एक माह यानी 30 सितंबर तक की मोहलत दे दी है। इस आदेश के बाद संपत्तियों का ब्योरा न देने वाले कर्मियों के अगस्त का वेतन मिलने का रास्ता सा़फ हो गया है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से मंगलवार की रात को इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है।
मुख्य सचिव ने कहा गया है कि मानव सम्पदा पोर्टल की समीक्षा में पाया गया है कि 26 ़फीसदी कर्मियों ने अभी तक अपनी संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया है। इसके अलावा पुलिस तकनीकी सेवाएँ मुख्यालय के पत्र द्वारा पुलिसकर्मियों की चेहल्लुम, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और पुलिस भर्ती परीक्षा में व्यस्तता के चलते उन्हें संपत्तियों का ब्योरा देने के लिए अतिरिक्त समय नहीं मिल पाया है। इसलिए मानव सम्पदा पोर्टल पर संपत्तियों का ब्योरा देने के लिए समय अवधि एक माह के लिए बढ़ायी जा रही है।
राज्य कर्मियों को संपत्तियों का ब्योरा देने की समय सीमा 31 अगस्त को समाप्त हो गई थी। मानव संपदा पोर्टल पर 74 फीसदी कर्मियों ने अपना ब्योरा फीड किया है। कुल 846640 कर्मियों में 602075 ने ही संपत्तियों का ब्योरा ऑनलाइन किया और 244565 कर्मियों ने तय समय तक ब्योरा नहीं दिया।
मुख्य सचिव के आदेशानुसार इन कर्मियों का अगस्त के वेतन रोकने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। मुख्य सचिव की ओर से मंगलवार को जारी शासनादेश के मुताबिक राज्य कर्मियों के संपत्तियों का ब्योरा देने की अंतिम तिथि एक माह के लिए बढ़ा दी गई है। इसमें यह भी बताया गया कि अभी तक 74 फीसदी कर्मियों ने अपना ब्योरा दे दिया है। राज्य सरकार की ओर से सूचना जारी किए जाने के बाद कर्मियों को बड़ी राहत मिली है।
03 सितंबर 2024
लखनऊ। अपनी संपत्ति का ब्योरा न देने वाले 2.44 लाख राज्य कर्मचारियों- अधिकारियों का अगस्त माह का वेतन रोक दिया गया है। मुख्य सचिव ने 31 अगस्त तक हर हाल में मानव संपदा पोर्टल पर चल-अचल संपत्ति का ब्योरा देने के निर्देश दिए थे। तय तिथि तक राज्य सरकार के 71 फीसदी कार्मिकों ने ही अपनी संपत्ति का खुलासा किया। इनके अलावा अन्य कार्मिकों का वेतन रोक दिया गया।
मुख्य सचिव ने 17 अगस्त को शासनादेश के जरिये सभी विभागों को आदेश दिया था कि 31 अगस्त तक संपत्ति का ब्योरा देने वालों को ही अगस्त माह का वेतन दिया जाए। प्रदेश में कुल 846640 राज्य कर्मी हैं। इनमें से 602075 ने ही मानव संपदा पोर्टल पर चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दिया।
ब्योरा देने में टेक्सटाइल, सैनिक कल्याण, ऊर्जा, खेल, कृषि और महिला कल्याण विभाग के कार्मिक आगे रहे। शिक्षा विभाग के कार्मिक संपत्ति को छिपाने में आगे हैं। सबसे फिसड्डी बेसिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास और राजस्व विभाग साबित हुए। 17 अगस्त को जब यह आदेश जारी हुआ था, तब 131748 यानी 15 फीसदी राज्य कर्मियों ने ही पोर्टल पर अपनी संपत्ति दर्ज की थी। 20-31 अगस्त के बीच यह बढ़कर 71 फीसदी हो गया।
शासन के एक उच्चपदस्थ अधिकारी ने बताया कि संपत्ति का ब्योरा न देने वाले कार्मिकों का वेतन रोकने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है। सभी विभागों को इसका अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।
आईएएस, पीसीएस इससे मुक्त : मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति का ब्योरा देने से सिर्फ आईएएस और पीसीएस अफसरों को ही मुक्त रखा गया है, क्योंकि ये अफसर एक अलग पोर्टल स्पैरो पर अपनी संपत्ति का ब्योरा देते हैं।
संपत्ति का ब्योरा देने पर ही जारी होगा वेतन
शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, जिन अधिकारियों-कर्मचारियों का अगस्त माह का वेतन रोका गया है, इसे तभी जारी किया जाएगा, जब वे संपत्ति का ब्योरा दे देंगे। उनकी संपत्ति का ब्योरा मिलने पर वेतन देने का फैसला संबंधित विभाग शासन से वार्ता के बाद ले सकेंगे।
व्यस्तता का हवाला देकर पुलिस विभाग ने मांगी मोहलत
डीजीपी मुख्यालय ने नियुक्ति विभाग को पत्र भेजकर उनके कार्मिकों के लिए संपत्ति का ब्योरा देने के लिए कुछ और समय दिए जाने का अनुरोध किया है।
पत्र में कहा गया है कि त्योहारों और पुलिस भर्ती परीक्षा के कारण तमाम पुलिस कर्मी समय से अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे पाए। माना जा रहा है कि गृह विभाग के लिए यह तिथि बढ़ाई जा सकती है।
संपत्ति का विवरण देने में टॉप-5 फिसड्डी विभाग