UPS के बाद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की पेंशन में भी बड़े सुधार समय की जरूरत
• संगठित निजी क्षेत्र के 78 लाख पेंशनरों को मिलती है एक हजार रुपये प्रति माह पेंशन
• लंबे अर्से से निजी सेक्टर में भी 10 हजार रुपये से अधिक की पेंशन की हो रही है मांग
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) से 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और राज्यों की तरफ से भी इस स्कीम के लागू होने पर 90 लाख राज्य कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। दूसरी तरफ देश में संगठित निजी क्षेत्र के करीब 78 लाख कर्मचारियों को अब भी एक हजार रुपये प्रतिमाह की न्यूनतम पेंशन से ही अपना गुजारा चलाना पड़ रहा है।
यूपीएस की घोषणा के बाद ट्रेड यूनियन संगठित निजी सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी प्रतिमाह 10 हजार रुपये से अधिक की पेंशन को लेकर आवाज उठाने की तैयारी कर रही है। निजी सेक्टर के कर्मचारियों को भविष्य निधि (पीएफ) फंड से पेंशन दी जाती है, जिसका संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) करता है।
इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के महासचिव संजय कुमार सिंह ने बताया कि निजी सेक्टर के कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपये से बढ़ाकर प्रतिमाह 10 हजार करने की हमारी मांग पुरानी है। लेकिन अब यूपीएस के एलान के बाद हम निजी सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी सरकार से ऐसी पेंशन स्कीम लाने की मांग करने जा रहे हैं, जो प्रतिमाह 10 हजार रुपये से अधिक हो।
उन्होंने कहा कि निजी सेक्टर के कर्मचारी भी इनकम टैक्स देते हैं और जीडीपी में अपना योगदान देते हैं, तो फिर उन्हें भी सम्मानजनक पेंशन की सुविधा मिलनी चाहिए। सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकार पेंशन फंड में अब 18.5 प्रतिशत योगदान देगी, तो निजी सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी वह ऐसा कर सकती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक हर साल एक करोड़ से अधिक निजी क्षेत्र के श्रमिक ईपीएफओ से जुड़ रहे हैं, जिनके लिए सिर्फ एक हजार रुपये की न्यूनतम पेंशन की व्यवस्था है। वर्ष 2017 के सितंबर से लेकर इस साल मार्च तक ईपीएफ से जुड़ने वाले कर्मियों की संख्या 6.3 करोड़ रही। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में ही 1.31 करोड़ लोग ईपीएफ से जुड़े, जबकि सरकारी कर्मचारियों की पेंशन स्कीम नेशनल पेंशन स्कीम से इस अवधि में सिर्फ 7.75 लाख कर्मचारी जुड़े।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी बढ़ी पेंशन नहीं दी ईपीएफओ ने
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की तरफ से निजी सेक्टर के कर्मचारियों को सम्मानित पेंशन देने के लिए एक स्कीम लाई गई थी, जिसके तहत उन्हें भी अंतिम मूल वेतन का लगभग 30 प्रतिशत पेंशन के रूप में देने की बात थी, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। निजी सेक्टर के कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन की मांग पर वित्त मंत्रालय वर्षों से विचार कर रहा है। वित्त मंत्रालय की दलील रही है कि इस एक हजार रुपये की न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित करने के लिए सरकार पर सालाना चार हजार करोड़ का बोझ आता है और यह राशि बढ़ती है, तो बोझ और बढ़ेगा।