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Saturday, August 24, 2024

पुरानी पेंशन की मांग पर अड़े कर्मचारी संगठनों और पीएम मोदी की 10 साल में पहली बैठक आज, 8वें वेतन आयोग और NPS/OPS पर चर्चा संभव

पुरानी पेंशन की मांग पर अड़े कर्मचारी संगठनों और पीएम मोदी की 10 साल में पहली बैठक आज, 8वें वेतन आयोग और NPS/OPS पर चर्चा संभव


भाजपा के सत्ता में आने बाद प्रधानमंत्री की कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ इस तरह यह पहली बैठक होगी। माना जा रहा है कि कुछ राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार पुरानी पेंशन जैसे अन्य मुद्दों पर कोई अहम फैसला ले सकती है, जिससे पहले यह बैठक बुलाई गई है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शुक्रवार, 24 अगस्त को केंद्रीय कर्मचारियों के नेताओं के साथ अपने आवास पर बैठक करेंगे। कार्मिक मंत्रालय ने इसके संबंध में 21 अगस्त को एक नोटिस जारी किया गया था। बैठक ऐसे समय हो रही है जब 2 राज्यों जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस लिहाज से ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है।

पिछले 10 साल में यह पहली बैठक है, जिसमें प्रधानमंत्री और केंद्रीय कर्मचारियों की नेशनल काउंसिल यानी जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (JCM) के सदस्य शामिल होंगे। बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS), न्यू पेंशन स्कीम (NPS) और 8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चा हो सकती है।


NPS में सुधार के लिए बनी थी सोमनाथन कमेटी
मार्च 2024 में सरकार ने उस समय के वित्त सचिव टीवी सोमनाथन (हाल ही में कैबिनेट सचिव नियुक्त हुए हैं) की अध्यक्षता में NPS में सुधार के लिए एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने सुधार के लिए दुनियाभर के देशों की पेंशन स्कीमों सहित आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से किए गए सुधारों की भी स्टडी की है।

इसमें पता चला कि सरकार 40-45% पेंशन की गारंटी देने में सक्षम हो सकती है। इसके बाद पिछले दिनों खबर आई थी कि सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को आखिरी सैलरी का 50% पेंशन की गारंटी दे सकती है।

साधारण शब्दों में कहें तो अगर रिटायर होने से पहले किसी कर्मचारी की आखिरी सैलरी 50 हजार रुपए थी, तो सरकार उसे हर महीने 25 हजार रुपए पेंशन देने की योजना बना रही है।


OPS : पुरानी पेंशन पर प्रधानमंत्री के साथ बैठक से पहले कर्मचारी संगठन दो-फाड़; दूसरे सबसे बड़े संगठन का बहिष्कार, NPS मंजूर नहीं

केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठन, पुरानी पेंशन बहाली के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। इस बाबत रामलीला मैदान में कर्मचारियों की कई रैलियां हो चुकी हैं। जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। कर्मचारी संगठनों ने कई बार प्रधानमंत्री से मिलने का आग्रह किया था। हालांकि, पीएम मोदी खुद, सार्वजनिक मंचों से ओपीएस बाबत अपनी राय दे चुके हैं।


देश में 'पुरानी पेंशन' लागू होगी या 'एनपीएस' ही जारी रहेगी, इस पर अंतिम फैसले की घड़ी करीब आ गई है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे। यह बैठक पीएम आवास पर बुलाई गई है। इस बैठक से पहले जेसीएम के सदस्यों के बीच तालमेल का अभाव साफ नजर आ रहा है। 


रेलवे के बाद केंद्र में दूसरे सबसे बड़े कर्मचारी संगठन अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने प्रधानमंत्री की इस बैठक का बहिष्कार कर दिया है। एआईडीईएफ के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्हें ओपीएस के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। केंद्र सरकार, संसद में कह चुकी है कि पुरानी पेंशन योजना, उसके विचाराधीन नहीं है। बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ओपीएस का जिक्र तक नहीं किया। केंद्रीय कर्मियों के एक बड़े संगठन 'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने बताया, पीएम की बैठक से पहले हमारा स्टैंड क्लीयर है। सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। एनपीएस में संशोधन, किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।  


केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठन, पुरानी पेंशन बहाली के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। इस बाबत रामलीला मैदान में कर्मचारियों की कई रैलियां हो चुकी हैं। जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। कर्मचारी संगठनों ने कई बार प्रधानमंत्री से मिलने का आग्रह किया था। हालांकि पीएम मोदी खुद, सार्वजनिक मंचों से ओपीएस बाबत अपनी राय दे चुके हैं। पीएम ने उन राज्य सरकारों पर भी निशाना साधा था, जिन्होंने ओपीएस लागू की है। इसके अलावा, केंद्र सरकार कई बार कह चुकी है कि 'पुरानी पेंशन' बहाली संभव नहीं है। ज्वाइंट फोरम फॉर रेस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम (जेएफआरओपीएस) नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के कन्वीनर शिव गोपाल मिश्रा एवं को-कन्वीनर डॉ. एम. राघवैया ने 29 फरवरी को ओपीएस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था। 


इस पत्र में बताया गया कि केंद्र एवं राज्यों के सरकारी कर्मियों ने ओपीएस बहाली की मांग को लेकर एक मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। कर्मियों को गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए। सरकार, बिना गारंटी वाली योजना 'एनपीएस' को समाप्त करे। जेएफआरओपीएस ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी को 10 अगस्त 2023 को भेजे ज्ञापन का हवाला देते हुए कहा है, कर्मियों को विश्वास है कि सरकार, एनपीएस को खत्म करने और सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत गारंटीकृत पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करेगी। जेएफआरओपीएस ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय मांगा था। हालांकि बाद में केंद्र सरकार के इस आग्रह पर कि वित्त मंत्रालय की कमेटी को कुछ वक्त दे दिया जाए, कर्मचारी संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल वापस ले ली थी। 


अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, उनका संगठन प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। वजह, बैठक में ओपीएस पर नहीं, बल्कि एनपीएस पर ही बातचीत होगी। एआईडीईएफ, पहले ही कह चुका है कि उसे एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। बता दें कि अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने नॉर्थ ब्लॉक में 15 जुलाई को हुई वित्त मंत्रालय की कमेटी की बैठक का भी बहिष्कार किया था। वित्त मंत्रालय ने पुरानी पेंशन पर बातचीत करने के लिए स्टाफ साइड (नेशनल काउंसिल, जेसीएम) के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में भी एनपीएस पर बातचीत हुई थी।  


एआईडीईएफ के अध्यक्ष एसएन पाठक और महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना था, कर्मियों को केवल 'गारंटीकृत पुरानी पेंशन' ही चाहिए। उन्हें एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। केंद्र एवं और राज्य सरकारों के 6 करोड़ से अधिक कर्मचारी, एनपीएस को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मोदी 2.0 सरकार ने एनपीएस में सुधार की सिफारिश के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। एआईडीईएफ के कर्मचारी पक्ष ने राष्ट्रीय परिषद 'जेसीएम' और वित्त मंत्रालय की समिति को ज्ञापन सौंपकर एनपीएस में किसी भी तरह के सुधार की बात को खारिज कर दिया था। अब एआईडीईएफ ने पीएम मोदी की बैठक का भी बहिष्कार का दिया है।   


केंद्र सरकार के एक बड़े कर्मचारी संगठन, कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स ने 15 जुलाई की बैठक से पहले जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा को पत्र लिखकर सूचित कर दिया था कि कर्मियों को ओपीएस से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। वे एनपीएस की समाप्ति और गारंटीकृत ओपीएस की बहाली चाहते हैं। कॉन्फेडरेशन के महासचिव एसबी यादव कहते हैं, ओपीएस में पेंशन की गारंटी है। कर्मचारी को एक रुपया दिए बिना ही यह सुविधा मिलती है। हालांकि कॉन्फेडरेशन के दो सदस्य, प्रधानमंत्री के साथ होने जा रही बैठक में शिरकत करेंगे, मगर हमारा एजेंडा क्लीयर है। एनपीएस में सुधार पर कोई बातचीत नहीं होगी। कर्मचारियों को केवल गारंटीकृत पेंशन ही चाहिए।


कॉन्फेडरेशन ने 19 जुलाई को लंबित मांगों को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन किया था। कर्मियों की मांगों में पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग का गठन, केंद्र सरकार में खाली पड़े 10-12 लाख पदों को भरना, 18 माह के डीए का एरियर जारी करना, रेस्टोरेशन कम्युटेशन ऑफ पेंशन की अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष करना, अनुकम्पा नियुक्ति पर लगी पांच प्रतिशत की सीमा को खत्म करना व आउटसोर्स एवं अनुबंध आधारित नियुक्तियों पर रोक लगाना आदि शामिल थी। बतौर बीएस यादव, आज भी कॉन्फेडरेशन अपनी मांगों पर कायम है। पीएम के साथ होने वाली बैठक में भी कॉन्फेडरेशन उक्त सभी मुद्दे रखेगा। 


नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने प्रधानमंत्री की बैठक को लेकर कहा, ज्वाइंट कंसलटेटिव मशीनरी 'जेसीएम' केंद्र सरकार के विभागों के प्रतिनिधियों से मिलकर बनती है। केंद्रीय कर्मियों का जब भी कोई ऐसा मुद्दा होता है जो गतिरोध उत्पन्न करता है तो सरकार इसी प्रतिनिधिमंडल से बात करती है। इसके स्टैंडिंग कमेटी में केवल 12 लोग हैं जो सरकार से बातचीत करते हैं। मुद्दा कोई भी हो अगर वह केंद्रीय कर्मियों से जुड़ा है तो सरकार बातचीत इसी से करती है। इसी आधार पर राज्यों को सरकारें भी अपने अपने राज्यों की मान्यता प्राप्त संगठनों से बातचीत करती हैं। पुरानी पेंशन के मुद्दे पर इसीलिए सरकार, किसी राज्य के कर्मचारी संगठन को आमंत्रित नही करती। चूंकि रेलवे सबसे बड़ा केंद्रीय सेक्टर है इसलिए हमेशा रेलवे के प्रतिनिधि ही इन बैठकों में अहम किरदार होते हैं। खैर, जो भी हो हमारा आंदोलन आज सफलता के करीब है। हमें उम्मीद है प्रधानमंत्री मोदी, एनपीएस को ओपीएस में कनवर्ट करने का बड़ा और ऐतिहासिक फैसला जरूर लेंगे।





OPS Meeting with PM Narendra Modi : पुरानी पेंशन को लेकर पीएम मोदी संग पहली बार बैठक, कर्मचारियों से जुड़े कई और मुद्दों पर भी चर्चा की उम्मीद

लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए सरकार के तेवर बदले से नजर आ रहे हैं। पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार में कर्मचारी नेताओं संग बैठक करेंगे। मतलब ओपीएस पर आर या पार होना लगभग तय माना जा रहा है।  

केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'एनपीएस' सुधार की बात कही थी। उन्होंने 'पुरानी पेंशन' का जिक्र तक नहीं किया। उसके बाद संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के विचाराधीन नहीं है। इसके बाद कर्मचारी निराश हो गए। अब दो राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी, 24 अगस्त को स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (JCM) के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे। 


एक दशक में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब पीएम मोदी ने कर्मचारी संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। पीएम आवास पर होने वाली इस बैठक में कर्मचारियों के हितों से जुड़े कई दूसरे मुद्दों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। 


बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए सरकार के तेवर बदले से नजर आ रहे हैं। पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार में कर्मचारी नेताओं संग बैठक करेंगे। मतलब ओपीएस पर आर या पार, कुछ तो हो जाएगा। एआईडीईएफ के महासचिव और एआईटीयूसी के राष्ट्रीय सचिव सी. श्रीकुमार ने केंद्रीय बजट पेश होने के बाद कहा था कि केंद्रीय बजट, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदों तक पहुंचने में विफल रहा है।


 सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से फैसला सुनाया है कि पेंशन कोई इनाम नहीं है, पेंशन कोई अनुग्रह राशि नहीं है, पेंशन कोई ऐसी चीज नहीं है जो नियोक्ता की इच्छा के अनुसार दी जाती है। यह प्रत्येक सरकारी कर्मचारी का मौलिक अधिकार है। सरकार, जिससे आदर्श नियोक्ता बनने की उम्मीद की जाती है, अब वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी सम्मान नहीं कर रही है।


एनपीएस में संशोधन पर ही बात
श्रीकुमार ने कहा, जब केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब वित्त मंत्री ने बजट में सरकारी कर्मचारियों से संबंधित 'ओपीएस' को लेकर कोई घोषणा नहीं की। उन्होंने एकमात्र घोषणा, एनपीएस में किए जाने वाले संशोधन के बारे में की थी। पेंशन के बारे में केंद्रीय बजट में कोई घोषणा न होने से, सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी पूरी तरह निराश हो गए थे।


बतौर श्रीकुमार, सरकारी कर्मचारी, कैंपस साक्षात्कार या सिफारिशों के माध्यम से नौकरी पर नहीं आते हैं। नौकरी के योग्य होने के लिए उन्हें कई चयन प्रक्रियाओं और परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। सरकारी नौकरियों के प्रति आकर्षण, नौकरी की सुरक्षा और गैर-अंशदायी पेंशन लाभों के कारण था। भले ही वे आचरण नियमों के नाम पर सैकड़ों प्रतिबंधों से उलझे हुए हों। सरकारी कर्मचारियों का पेंशन अधिकार, एक मौलिक अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय पहले ही यह बात कह चुका है।


एनपीएस कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद अपने सेवा काल की संचित बचत का 40 प्रतिशत हिस्सा, पीएफआरडीए के पास रखना होता है। उससे उन्हें दो चार हजार रुपये की मामूली पेंशन मिलती है। खासतौर पर, ग्रुप-सी के कर्मचारी, जिनकी संख्या सरकार में अधिक है, उन्हें एनपीएस में 2000 से 4000 रुपये की पेंशन मिलती है। एक तरफ सरकार, विदेशी कंपनियों सहित कॉरपोरेट घरानों को हर तरह के लाभ और राहत देने में खुश है तो वहीं दूसरी ओर, सरकारी कर्मचारियों सहित श्रमिक वर्ग को पूरी तरह से उपेक्षित किया जा रहा है।  


भारत सरकार में 15 लाख से अधिक कर्मचारी एनपीएस के अंतर्गत आते हैं। पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की उनकी मांग को सरकार ने खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार के कर्मचारी अपने साथ हुए अन्याय को स्वीकार नहीं करेंगे। वे अपना पेंशन अधिकार वापस पाने के लिए संघर्ष करेंगे। हरियाणा में लम्बे समय से कर्मचारी, ओपीएस के लिए आंदोलन कर रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा कह चुके हैं कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनती है तो पहली कैबिनेट की बैठक में ओपीएस देंगे। जम्मू कश्मीर में ओपीएस एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।


'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल, हरियाणा व जेएंडके के कर्मचारी संगठनों से बात कर चुके हैं। पटेल ने कहा, सरकार को ओपीएस तो बहाल करनी ही पड़ेगी। आप ये काम चाहें एनपीएस को रद्द करके करें या एनपीएस को टेक्निकली ओपीएस बनाकर करें। जब तक ओपीएस मिल नहीं जाती, देशभर के 85 लाख कर्मचारी चुप बैठने वाले नही हैं। उन्होंने पिछले दिनों घोषणा की थी कि एक महीने के भीतर अगर ओपीएस पर गजट नहीं आता है तो नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत, संसद घेराव की डेट का एलान करेगा। 


बतौर पटेल, पूर्व वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का कहना था कि ओपीएस बहाली संभव नहीं। उन्होंने इसके कारण गिनाए हैं। क्या सोमनाथन यह बताएंगे कि हर महीने 12000 करोड़ रुपये लेने वाले बैंक कोई निश्चित ब्याज नहीं देंगे, लेकिन इन्हीं बैंकों से जब आप 10000 रुपये का भी लोन लेते हैं तो ये फिर ये निश्चित ब्याज क्यों लेते हैं। हमारे 15 लाख करोड़ रुपए पर एक भी पैसे का ब्याज गारंटीड क्यों नहीं है। दूसरी बात जब 'एनपीएस' को हुबहू 'ओपीएस' में कनवर्ट किया जा सकता है तो फिर सरकार इस पर बात क्यों नहीं कर रही।

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