CAG रिपोर्ट में खुलासा: एक रुपया भी नहीं खर्च कर पाए उत्तर प्रदेश सरकार के 22 विभाग, धरे रह गए 9458 करोड़
NPS हेतु 31 मार्च 2019 तक के बचे नियोक्ता अंशदान के एकमुश्त भुगतान के लिए 3000 करोड़ अंशदान और देरी से जमा किए गए नियोक्ता अंशदान पर ब्याज के लिए 980 करोड़ का भी इस्तेमाल नहीं कर पाए जिम्मेदार
सबसे बड़ी बात रही कि संवेदनशील मुद्दा बन चुका NPS के दायरे में आने वाले सरकारी कर्मचारियों के 31 मार्च 2019 तक के बचे नियोक्ता अंशदान के एकमुश्त भुगतान के लिए 3000 करोड़ का प्रावधान किया गया था, जो पूरा रखा रह गया। अंशदान और देरी से जमा किए गए नियोक्ता अंशदान पर ब्याज के लिए 980 करोड़ का भी इस्तेमाल नहीं किया गया।
लखनऊ । CAG report: यूपी सरकार के 22 विभाग विभिन्न मदों में मिले 9458 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाए। इस बात का खुलासा कैग की 2022-23 की रिपोर्ट में हुआ।
वर्ष 22-23 की सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 22 विभागों ने विभिन्न मदों में मिले 9458 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए। आवास विभाग ने वाराणसी, गोरखपुर आदि के लिए मेट्रो के मद में मिले 100 करोड़ खर्च नहीं किए। नई उद्योग नीति के तहत मिले 300 करोड़ रुपये भी बिना खर्च रह गए।
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक उद्योग विभाग को गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए मिले 250 करोड़, पंचायती राज को मिले 146 करोड़ और नगर विकास विभाग को स्वच्छ भारत मिशन के लिए 815 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन इसमें से एक रुपया भी नहीं खर्च किया गया। न्याय विभाग को मिले कोर्ट कैंपस निर्माण के मद में लिए 400 करोड़ व इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के लिए 150 करोड़ आवंटित किए गए थे, जो बिना खर्च के रह गए। वाराणसी में कोर्ट के नए भवन के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान था, जो पूरा नहीं किया गया। विधि विवि प्रयागराज के लिए 100 करोड़ रुपये दिए गए थे, जो रखे रह गए। परिवहन विभाग को ई वाहनों की मदद के लिए दिए गए 100 करोड़ भी खजाने से बाहर नहीं निकले।
अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए मिले 608 करोड़ रुपये और महिला एवं बाल कल्याण विभाग भी मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना के तहत मिले 100 करोड़ का इस्तेमाल नहीं कर सका। वित्त विभाग को गारंटी रिडंपशन फंड के तहत मिले 1200 करोड़ का भी इस्तेमाल नहीं किया गया।
सबसे बड़ी बात रही कि संवेदनशील मुद्दा बन चुका एनपीएस के दायरे में आने वाले सरकारी कर्मचारियों के 31 मार्च 2019 तक के बचे नियोक्ता अंशदान के एकमुश्त भुगतान के लिए 3000 करोड़ का प्रावधान किया गया था, जो पूरा रखा रह गया। अंशदान और देरी से जमा किए गए नियोक्ता अंशदान पर ब्याज के लिए 980 करोड़ का भी इस्तेमाल नहीं किया गया।