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Tuesday, September 17, 2024

2027 से पहले देश में जनगणना की संभावना बेहद कम, जानिए क्यों?

2027 से पहले देश में जनगणना की संभावना बेहद कम, जानिए क्यों? 

30 लाख जनगणनाकर्मियों के प्रशिक्षण के बाद शुरू होगी प्रक्रिया

कोविड और फिर लगातार चुनावों के कारण टलता गया यह काम


17 सितम्बर 2024
नई दिल्लीः तीन साल से विलंबित जनगणना 2027 से पहले होना मुश्किल नजर आ रही है। जनगणना के लिए 30 लाख कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाना है और आंकड़े जुटाने के लिए इन कर्मियों के लिए टैब खरीदने की प्रक्रिया भी अभी शुरू नहीं हुई है।

2021 की जनगणना की तैयारियों को देखें तो 2019 के अक्टूबर में ही मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण शुरू हो गया था। बाद में इन्हीं मास्टर ट्रेनर्स की मदद से 30 लाख जनगणनाकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाना था, लेकिन पहले कोविड महामारी और फिर लगातार हो रहे चुनाव के कारण यह काम टलता गया।

जनगणना को दो चरणों में पूरा किया जाता है। पहले चरण में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक घरों, मवेशियों, गाड़ियों और परिवारों के पास मौजूद अहम संसाधनों के आंकड़े जुटाए जाते हैं। उसके बाद दूसरे चरण में अगले साल सात फरवरी से 28 फरवरी तक व्यक्तियों की गिनती शुरू होती है। पहले चरण की जनगणना की शुरूआत एक अप्रैल 2020 से शुरू होनी थी, दूसरा चरण सात फरवरी 2021 में होना था। 2019-20 के बजट में जनगणना के लिए 8,754 करोड़ रुपये और नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने के लिए 3,941 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

जाहिर है यदि 2025-26 के बजट में जनगणना के लिए उचित बजटीय आवंटन होता है तो भी जनगणनाकर्मियों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम 2025 जुलाई के बाद ही शुरू हो सकेगा। इसके बाद 2026 में एक अप्रैल से 30 सितंबर के बीच पहले चरण में घरों की गणना हो सकती है। उसके बाद 2027 के फरवरी में व्यक्तियों की गणना का काम पूरा हो सकता है।




देश में पहली बार  डिजिटल जनगणना की तैयारी, जनगणना के लिए 31 सवाल किए जा रहे तैयार

15 सितम्बर 2024
केंद्र सरकार ने समूचे देश की जनगणना कराने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि जातीय जनगणना पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसके जरिये नागरिकों को स्वयं गणना करने का अवसर मिलेगा। इसके लिए जनगणना प्राधिकरण ने एक स्वगणना पोर्टल तैयार किया है, जिसे अभी लांच नहीं किया गया है।

स्वगणना के दौरान आधार नंबर या मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से एकत्र किया जाएगा। पूरी जनगणना और एनपीआर प्रक्रिया पर सरकार के 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना है। एक सूत्र ने रविवार को अपना नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि हर दशक में होने वाली जनगणना जल्द ही कराई जाएगी। लेकिन दशकीय जनगणना में जाति संबंधी कालम शामिल करने के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा, 'इस पर निर्णय होना अभी बाकी है।' 

राजनीतिक दल जाति जनगणना कराने की पुरजोर तरीके से मांग कर रहे हैं। नए आंकड़े नहीं होने के कारण सरकारी एजेंसियां अब भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर नीतियां बना रही हैं और सब्सिडी आवंटित कर रही हैं। भारत में 1881 से हर 10 वर्ष में जनगणना की जाती है। इस दशक की जनगणना का पहला चरण एक अप्रैल, 2020 को शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा।


महिला आरक्षण भी जनगणना पर निर्भरः पिछले वर्ष संसद द्वारा पारित महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी इसी दशकीय जनगणना से जुड़ा हुआ है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने संबंधी कानून इस अधिनियम के लागू होने के बाद होने वाली पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़ों के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद लागू होगा।


जनगणना के लिए 31 सवाल किए गए तैयार
भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने जनगणना के दौरान पूछने के लिए 31 सवाल तैयार किए हैं। इसमें पूछा जाएगा कि एक परिवार में कितने लोग रहते हैं और परिवार का मुखिया महिला है क्या। परिवार के मुखिया अगर एससी/एसटी हैं तो यह जानकारी भी मांगी जाएगी। पूछेंगे कि एक परिवार के पास एक टेलीफोन, इंटरनेट कनेक्शन, मोबाइल या स्मार्टफोन है या नहीं। उनके पास वाहनों में साइकिल, स्कूटर, बाइक या फिर कार, जीप या वैन है या नहीं। पूछेंगे आप कौन सा अनाज अधिक खाते हैं। पेयजल, बिजली, शौचालय, गंदे पानी की निकासी, रसोई व रसोई में एलपीजी / पीएनजी की उपलब्धता की भी जानकारी ली जाएगी।



जनगणना की प्रक्रिया सितंबर में शुरू होने की उम्मीद, डेढ़ साल में नतीजे

नई दिल्ली, 22 अगस्त
देश में जनगणना की प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो सकती है। दो सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई वर्षों की आलोचना के बाद अपने तीसरे कार्यकाल में आंकड़ों में इस महत्त्वपूर्ण खाई को पाटना चाहते हैं।


भारत में हर दस साल बाद जनगणना होती है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी और इस लिहाज से जनगणना की प्रक्रिया 2021 में पूरी हो जानी चाहिए थी। मगर कोविड-19 के प्रकोप के कारण इसमें देरी हुई। इस मामले से सीधे तौर पर जुड़े दो सरकारी सूत्रों ने कहा कि जनगणना की प्रक्रिया अगले महीने से शुरू होने के बाद करीब 18 महीनों में पूरी हो जाएगी। सरकार के भीतर और बाहर के अर्थशास्त्रियों ने नई जनगणना में हो रही देरी की आलोचना की है क्योंकि इससे आर्थिक आंकड़ों, मुद्रास्फीति और नौकरियों के अनुमानों सहित कई अन्य सांख्यिकीय सर्वेक्षणों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। 

फिलहाल अधिकतर सरकारी योजनाएं 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित हैं। अधिकारी ने कहा कि जनगणना की प्रक्रिया अगले महीने से शुरू होने के बाद करीब 18 महीनों में पूरी हो जाएगी। एक अधिकारी ने कहा कि जनगणना की प्रकिया शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से अंतिम मंजूरी का इंतजार है।

जनगणना की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गृह मंत्रालय और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक समय-सीमा तैयार की है जिसके तहत मार्च 2026 तक नई जनगणना के नतीजे जारी करने का लक्ष्य रखा गया है। इस बाबत जानकारी के लिए दोनों मंत्रालयों को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।

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