अनुकंपा नियुक्ति कानून का विषय; वसीयत का नहीं : हाईकोर्ट
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मृत कर्मचारी के आश्रित की नियुक्ति कानून के तहत की जाती है, वसीयत से मिले अधिकारों के तहत नहीं। कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त याची कोमामला 5 जिन आरोपों पर बर्खास्त किया है, वे आरोप कानून की नजर में आरोप ही नहीं हैं। न्यायमूर्ति जेजे जेजे मुनीर ने गौरी शुक्ला की याचिका पर यह आदेश दिया।
कोर्ट ने कन्नौज की नगर पंचायत तिरवागंज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को सेवा में बहाल कर दिया। साथ ही 7 वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया।
याची के पति अतुल कुमार शुक्ल नगर पंचायत में कर्मचारी थे। पारिवारिक कलह के चलते याची गौरी दो बच्चों को लेकर मायके चली गई। वहीं इस दौरान याची की सास अभिलाषा देवी व देवर ने सारी संपत्ति की वसीयत करा ली। वसीयत में याची व उसके बच्चों को कोई अधिकार नहीं दिया गया। इसी दौरान पति अतुल कुमार की सेवाकाल में मृत्यु हो गई। ऐसे में याची की पत्नी के रूप में आश्रित कोटे में नियुक्ति की गई।
अलग रह रही पत्नी की अनुकंपा नियुक्ति अवैध मान बर्खास्त करने का आदेश हाईकोर्ट ने किया रद्द
कर्मचारी की वसीयत और आश्रित की नियुक्ति का कोई संबंध नहीं
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि मृत कर्मचारी के आश्रित की नियुक्ति कानून के तहत की जाती है, उसकी वसीयत से मिले अधिकारों के तहत नहीं। कोर्ट ने कहा कि चपरासी पद पर मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त याची को जिन छह आरोपों पर बर्खास्त किया गया है, वास्तव में वे आरोप कानून की निगाह में आरोप ही नहीं हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने गौरी शुक्ला की याचिका पर अधिवक्ता आशीष कुमार व गिरीश सिंह को सुनकर दिया है।
कोर्ट ने याची के खिलाफ आरोप गढ़ने वाले अधिशासी अधिकारी और जांच अधिकारी को भविष्य में सावधानी बरतने की नसीहत दी है। साथ ही अधिशासी अधिकारी द्वारा याची की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कन्नौज की नगर पंचायत तिरवागंज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी याची को तत्काल सेवा बहाल कर नियमित वेतन भुगतान का निर्देश दिया है।
याचिका के अनुसार याची को मनगढ़ंत आरोपों पर बिना उसका पक्ष सुने बर्खास्त कर दिया गया। याची के पति अतुल कुमार शुक्ल नगर पंचायत में कर्मचारी थे। पति पत्नी में कलह के कारण याची दो बच्चों को लेकर मायके आ गई। इसका फायदा उठाकर याची के पति की मां अभिलाषा देवी व भाई ने सारी संपत्ति की वसीयत करा ली। वसीयत में याची व उसके बच्चों को कोई अधिकार नहीं दिया गया। इसी बीच याची के पति की सेवाकाल में मौत हो गई। याची का तलाक नहीं हुआ था। इस पर पत्नी के रूप में आश्रित कोटे में याची की नियुक्ति की गई। दिवंगत कर्मचारी की मां की ओर से शिकायत की गई कि अनुकंपा नियुक्ति गलत की गई है।