• हर्जाने की रकम वित्त नियंत्रक व अपर आयुक्त से वसूली जाए
• कटौती की गई 3.12 लाख खाते में जमा कराने का निर्देश
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त पुलिस दारोगा को विभागीय गलती से निर्धारित गलत वेतनमान से अधिक भुगतान की वसूली को अवैध करार देते हुए रद कर दिया है। साथ ही पुलिस विभाग पर 20 हजार रुपये हर्जाना लगाया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने रविशंकर त्रिपाठी की याचिका पर दिया है। इसमें पुलिस उपायुक्त लेखा कानपुर नगर के छह मार्च के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सेवा में रहते हुए अधिक भुगतान के कारण याची की ग्रेच्युटी से 3,12,926 रुपये की राशि वसूलने को कहा गया था। याची पुलिस सब इंस्पेक्टर पद से 30 अप्रैल 2023 को सेवानिवृत्त हुआ था।
अधिवक्ता निर्भय भारती ने उसकी तरफ से बहस करते हुए कहा कि याची किसी भी तरह अपने वेतन या परिलब्धियों के गलत निर्धारण के लिए जिम्मेदार नहीं है। वह ग्रुप सी का कर्मचारी था। उसका मामला पंजाब राज्य व अन्य बनाम रफीक मसीह व अन्य और थामस डैनियल बनाम केरल राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप स्पष्ट रूप से आच्छादित है। उसकी ग्रेच्युटी से कुछ भी वसूला नहीं जा सकता।
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा, कानून की स्थिति को अच्छी तरह से जानते हुए अपर आयुक्त, वित्त नियंत्रक/सीएओ पुलिस मुख्यालय ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन करते हुए वसूली आदेश का विकल्प चुना है। सेवानिवृत्त कर्मचारी को मुकदमेबाजी में धकेल दिया है। ऐसे में वे दंडात्मक लागत के भुगतान के लिए उत्तरदायी हैं।
कोर्ट ने वित्त नियंत्रक/सीएओ यूपी पुलिस मुख्यालय, अपर पुलिस आयुक्त (लेखा) कानपुर नगर, वरिष्ठ कोषाधिकारी जिला संत रविदास नगर और पुलिस अधीक्षक संत रविदास नगर को 3,12,926 रुपये बिना किसी चूक के छह सप्ताह के भीतर याची के बैंक खाते में जमा कराने का निर्देश दिया है।