प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक कर्मचारी निलंबित रहेगा, उसे निर्वाह भत्ता देना जरूरी है। हाईकोर्ट ने कहाकि दो सप्ताह के भीतर निलंबित कर्मचारी का बकाया निर्वाह भत्ते का भुगतान किया जाए। साथ ही विभागीय जांच तीन माह के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अजीत कुमार की कोर्ट ने ईशपाल सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया।
बनारस निवासी ईशपाल सिंह पावर कार्पोरेशन में कार्यरत थे। कथित गबन के मामले में उन्हें निलंबित कर दिया गया था। याची का कहना है कि उसे निर्वाह भत्ता नहीं दिया जा रहा है। साथ ही संबंधित गबन के लिए सुरेश बाबू जिम्मेदार हैं। वह संबंधित टेबल पर तकनीकी ग्रेड II/ बिलिंग क्लर्क के रूप में काम कर रहे थे। उसका गबन से कोई लेना- देना नहीं है। इन्हीं आधारों पर निलंबन के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
याची वकील ने दलील दी कि जीवन निर्वाह भत्ता दिए बिना अनिश्चित काल तक कर्मचारी को निलंबित नहीं रखा जा सकता है। 05 मार्च 2024 को उसे निलंबित कर जांच शुरू की गई थी। जीवन निर्वाह भत्ता का एक रुपया भी नहीं दिया गया और चार माह से न ही कोई जांच की गई है।
कार्पोरेशन के वकील ने दलील दी कि देश में होने वाले आम चुनावों के कारण जांच में देरी हुई। विभाग तीन महीने की अवधि के भीतर जांच पूरी कर लेगा। दो सप्ताह के भीतर निर्वाह भत्ता का भी भुगतान कर दिया जाएगा।
कोर्ट ने तथ्यों को अवलोकन करने के बाद हर हाल में विभागीय जांच तीन माह में पूरी करने और निर्वाह भत्ता देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा निर्देशों में से किसी एक का भी पालन न करने पर 05 मार्च 2024 का निलंबन आदेश रद्द कर दिया जाएगा और याचिकाकर्ता सेवा में बहाल हो जाएगा।