गलत आयकर रिटर्न फॉर्म चुना तो लग सकता है मोटा जुर्माना
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न भरने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है और करदाताओं के लिए फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2024 है। कई बार देखने में आता है कि जानकारी के अभाव में या भूलवश गलत फॉर्म भर देते हैं। विभाग ऐसे करदाताओं को सुधार करने का मौका भी देता है। यदि कोई करदाता नोटिस मिलने के बाद भी संशोधित आईटीआर फॉर्म दाखिल नहीं करता है तो विभाग उस पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है और मोटा जुर्माना वसूल सकता है। इससे बचने लिए सही आरटीआर फॉर्म का चुनाव करना बेहद जरूरी है।
आयकर विभाग हर साल सात तरह के आईटीआर फॉर्म जारी करता है। करदाता अपनी व्यक्तिगत आय स्रोत, कर योग्य आय और कर कटौती के अनुसार इनमें से किसी एक का चुनाव आईटीआर दाखिल कर सकता है। सही फॉर्म का चयन करदाता की सटीक वित्तीय स्थिति और उसकी जिम्मेदारी को सुनिश्चित करता है।
कई दफा देखने में आता है कि आईटीआर दाखित करते वक्त करदाता को सही जानकारी दर्ज करनी होती है और वे गलत फॉर्म का चुनाव करके उसे दाखिल कर देते हैं। ऐसी स्थिति में आयकर विभाग संबंधित व्यक्ति को संशोधित रिटर्न (आईटीआर-यू) दाखिल करने की अनुमति देता है। आयकर अधिनियम- 1961 की धारा 139 (5) में इसका प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य आरंभिक आयकर रिटर्न में किसी भी गलती या चूक को सुधारना है। इसमें अधूरे कर रिटर्न, गलत आय स्रोत या अनदेखी की गई कटौती शामिल हो सकती है। इसके लिए शर्त यही है कि करदाता ने भूलवश गलत फॉर्म का चुनाव किया हो, जानबूझकर नहीं।
देना पड़ सकता है 300% तक जुर्माना
आमतौर पर संशोधित आईटीआर दाखिल करने पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाता है। अगर कर अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि करदाता ने जानबूझकर आय कम बताई है या छिपाई है और कर चोरी में शामिल है, तो आयकर प्रावधानों के अनुसार जुर्माना वसूला जा सकता है। यह जुर्माना भुगतान न व की गई क कर राशि का 100% से 300% तक हो सकता है। इन प्रावधानों और कर विभाग द्वारा आईटीआर फॉर्म में हाल ही में किए गए संशोधनों को देखते हुए, करदाताओं के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी व्यक्तिगत परिस्थितियों के लिए उपयुक्त आईटीआर फॉर्म की सही पहचान करें।
कितनी भी बार किया जा सकता है संशोधन
कोई करदाता गलत दाखिल किए गए आईटीआर फॉर्म में किसी वित्तीय वर्ष में कितनी बार भी सुधार कर सकता है। विभाग ने सुधार करने की कोई निश्चित संख्या तय नहीं की है। हालांकि, समय जरूर निर्धारित है। आईटीआर-यू दाखिल करने की समय सीमा संबंधित मूल्यांकन वर्ष के अंत से 24 महीने के भीतर होती है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2023- 24 में कोई व्यक्ति मूल्यांकन वर्ष 2021-22 और मूल्यांकन वर्ष 2022-23 के लिए आईटीआर-यू दाखिल कर सकता है।
आईटीआर-1
इस फॉर्म को सहज भी कहते हैं। यह मुख्य रूप से वेतनभोगियो के लिए होता है। साथ ही कुल आमदनी 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसे सहज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे भरना बहुत ही आसान होता है। यह फॉर्म भरने वालों की आय के निम्न स्रोत होने चाहिए - वेतन, पारिवारिक पेंशन, ब्याज, एक घर से मिलने वाला किराया, 5000 रुपये तक की कृषि आय।
आईटीआर-2
ये फॉर्म उन लोगों के लिए है, जिनकी सालाना आय 50 लाख से ज्यादा है। साथ ही जिनके पास एक से ज्यादा संपत्ति है या विदेश से आमदनी हो रही है। यह फॉर्म भरने वालों की आय के निम्न स्रोत होने चाहिए। वेतन/पेंशन से आय, गृह संपत्ति से आय, अन्य स्रोतों से आय (लॉटरी से जीत और रेस के घोड़ों से आय सहित), कोई विदेशी आय होना।
आईटीआर-5
इस फॉर्म को व्यक्तिगत करदाता, एचयूएफ या कंपनी नहीं भर सकतीं। यह कुछ संस्थाओं के लिए होता है। यह फर्मों, एलएलपी (सीमित देयता भागीदारी), एओपी (व्यक्तियों का संघ), बीओआई (व्यक्तियों का निकाय), व्यवसायिक ट्रस्ट और निवेश निधि के लिए है।
आईटीआर-6
यह उस कंपनी के लिए होता है जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 11 से संबंधित छूट प्राप्त करने का दावा नहीं कर रही होती है। आयकर अधिनियम की धारा 11 का संबंध मुख्य रूप से उस प्रॉपर्टी से हासिल की गई आमदनी से है जिसका इस्तेमाल चैरिटेबल या धार्मिक उद्देश्य से किया जा रहा है।