संघ पदाधिकारियों को तबादला नीति में दो वर्ष की सशर्त छूट, जनहित के खिलाफ काम करने वालों को नहीं मिलेगी कोई रियायत
सेवा संघों के पदाधिकारियों का स्थानांतरण विभागाध्यक्ष की संस्तुति के बाद शासन से होगा
लखनऊ। स्थानांतरण नीति में संघ पदाधिकारियों को दो वर्ष की सशर्त छूट दी गई है। लेकिन, जनहित के खिलाफ काम करने वालों को कोई रियायत नहीं दी जाएगी। इसके लिए सभी विभागों को जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं।
स्थानांतरण नीति में कहा गया है कि मान्यता प्राप्त सेवा संघों के प्रदेश, मंडल व जिला स्तर के अध्यक्ष और सचिव के स्थानांतरण संगठन में पदधारित करने की तिथि से दो वर्ष तक न किए जाएं। साथ ही यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यह सुविधा देने का अर्थ यह नहीं है कि जनहित के विरुद्ध कार्य करने, कदाचार या भ्रष्ट आचरण करने पर भी उनका स्थानांतरण नहीं किया जा सकता।
लापरवाही, भ्रष्टाचार, आपराधिक कृत्य, अनुशासनहीनता और दुराचरण में लिप्त होने के तथ्य सामने आने पर निश्चित प्रक्रिया अपनाते हुए वर्ष में कभी भी उनका ट्रांसफर किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत जिले में तैनात सेवा संघों के पदाधिकारियों का स्थानांतरण संबंधित जिलाधिकारी व मंडल में कार्यरत पदाधिकारी का स्थानांतरण मंडलायुक्त की संस्तुति पर सक्षम स्तर से किए जा सकेंगे।
मुख्यालय स्तर पर सेवा संघों के पदाधिकारियों का स्थानांतरण विभागाध्यक्ष की संस्तुति के बाद शासन स्तर से हो सकेगा। इसके अलावा 13 मई 2022 के शासनादेश के तहत सेवा संघों के पदाधिकारियों का पटल व क्षेत्र परिवर्तन अवश्य किया जाएगा। इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी नियंत्रक प्राधिकारियों की होगी।