प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी दिवंगत कर्मचारी के आश्रित को इस आधार पर अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता है कि परिवार के पास कृषि भूमि का कोई टुकड़ा है। या परिवार का कोई सदस्य संविदा के आधार पर कोई कार्य कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि आश्रित परिवार की आर्थिक स्थिति की गणना करते समय यह देखा जाना चाहिए कि मृतक के जीवन काल में परिवार की आमदनी कितनी थी और उसकी मृत्यु के बाद परिवार की आमदनी कितनी है। परिवार पर जिम्मेदारियां क्या हैं। संभल के अमन पाठक की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया है। कोर्ट ने राज्य गन्ना समिति और जिला गन्ना अधिकारी द्वारा याची का अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन खारिज करने का आदेश रद्द कर दिया है। तथा नए सिरे से एक माह के भीतर याची की अनुकंपा नियुक्ति पर निर्णय लेने के लिए कहा है।
याची अमन पाठक के पिता जिला गन्ना अधिकारी चंदौसी में क्लर्क थे। 13 नवंबर 2011 को उनकी मृत्यु हो गई। उस वक्त अमन की आयु मात्र 9 वर्ष थी। बालिग होने पर उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। राज्य समिति और जिला गन्ना अधिकारी ने उसका आवेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि कर्मचारी की मृत्यु के 10 वर्ष बाद तक परिवार का ठीकठाक निर्वहन होता रहा। मृतक कर्मचारी की पत्नी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करती है। साथ ही उसके पास कृषि योग्य दो भूमि के टुकड़े हैं। कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकती थी मगर उसने ऐसा नहीं किया।