पदोन्नति के लिए चुनाव आयोग की अनुमति जरूरी नहीं, चुनाव संबंधी सीधी जिम्मेदारी नहीं तो शासन अपने स्तर से ले सकता है निर्णय
लखनऊ। रूटीन पदोन्नति के लिए चुनाव आयोग की अनुमति लेना जरूरी नहीं है। अगर कार्मिक की चुनाव संबंधी सीधी जिम्मेदारी नहीं है तो शासन अपने स्तर से निर्णय ले सकता है। इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
अपर मुख्य सचिव, नियुक्त एवं कार्मिक डॉ. देवेश चतुर्वेदी की ओर से जारी शासनादेश में कहा गया है कि आदर्श आचार संहिता में यह व्यवस्था की गई है कि आचार संहिता के दौरान बिना आयोग की पूर्व सहमति के कोई भी नियुक्ति या पदोन्नति आदेश जारी नहीं किए जाएंगे। इसलिए विभाग पदोन्नति व नियुक्ति आदेश जारी करने के लिए आयोग की सहमति लेने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी के सामने प्रकरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
इस संबंध में निर्वाचन आयोग ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि ऐसे अधिकारी व कर्मचारी जिनकी निर्वाचन प्रक्रिया में सीधे जिम्मेदारी नहीं है और पदोन्नति के कारण स्थानांतरण नहीं किया जाना है, उनकी रूटीन पदोन्नति के लिए चुनाव आयोग की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
इसलिए चुनाव ड्यूटी वाले कार्मिकों को छोड़कर अन्य ऐसे कार्मिक जिनकी चयन वर्ष 2023-24 की रिक्तियों के सापेक्ष आचार संहिता लागू होने से पहले चयन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, उन्हें उच्च वेतनमान व उच्च पद पर प्रोन्नत किया जा सकता है। ऐसे मामलों में पदोन्नति आदेश जारी करने की कार्यवाही पूरी की जाए।
आचार संहिता के दौरान पदोन्नति को लेकर आने वाली बाधा को दूर, चुनाव ड्यूटी से इतर कर्मी हो सकेंगे प्रोन्नत, शासनादेश जारी
लखनऊ। आचार संहिता के दौरान पदोन्नति को लेकर आने वाली बाधा को दूर कर दिया गया है। कार्मिक विभाग ने यह साफ कर दिया है कि चुनाव कार्यों में लगे कार्मिकों को छोड़ अन्य की पदोन्नति चुनाव आयोग से अनुमति लिए बिना की जा सकेगी। इसके दायरे में वही कार्मिक आएंगे जिनकी पदोन्नति के बाद दूसरे स्थान पर स्थानांतरण नहीं होगा।
अपर मुख्य सचिव कार्मिक डा. देवेश चतुर्वेदी ने इस संबंध में शासनादेश जारी करते हुए सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश भेज दिया है। भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक ऐसे कार्मिक जिनकी चुनाव प्रक्रिया में सीधी जिम्मेदारी निर्धारित नहीं है और पदोन्नति के बाद स्थानांतरण नहीं होना है उनकी रूटीन पदोन्नति के लिए आयोग की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।