प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर निगमों एवं नगर पालिका परिषदों में कार्यरत राजस्व निरीक्षकों को उनके सेवानिवृत्त सैनिक के रूप में की गयी सेवा जोड़ते हुए वेतन निर्धारित करने को लेकर सम्बंधित अधिकारियों को निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की कोर्ट ने विभिन्न नगर निगमों एवं नगर पालिका परिषदों में कार्यरत राजस्व निरीक्षक धर्मवीर सिंह, रोशन लाल, सुनील सिंह, विजय सिंह की अलग- अलग याचिकाओं पर उक्त आदेश पारित किया है।
याची राजस्व निरीक्षकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अतिप्रिया गौतम ने तर्क दिया कि सिविल सर्विस रेगुलेशन के प्रस्तर 422 एवं 526 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि भूतपूर्व सैनिकों की ओर से की गई सेवाओं की अवधि को वर्तमान सेवा में जोड़ा जाएगा तथा उनका वेतन सेना से सेवानिवृत्ति की तिथि को आहरित अंतिम मूल वेतन के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
याचीगण राजस्व निरीक्षक वर्तमान समय में नगर निगम गाजियाबाद एवं मुरादाबाद, नगर पालिका परिषद हापुड़ एवं पीलीभीत में कार्यरत हैं। वे राजस्व निरीक्षक के पद पर नगर निगम एवं नगर पालिका परिषदों में वर्ष 2017 में नियुक्त हुए थे। याचीगणों की नियुक्ति भूतपूर्व सैनिक कोटे के अंतर्गत की गयी थी।
याचीगण भारतीय सेना एवं वायु सेना में 15 वर्षों से ज्यादा समय तक कार्य करने के बाद सेवानिवृत्त हुए थे। तत्पश्चात वे नगर निगम एवं नगर पालिका परिषदों में राजस्व निरीक्षक के पद पर नियुक्त हुए। लेकिन उनकी भारतीय सेना एवं वायु सेना में की गई सेवा अवधि को वर्तमान सेवा में नहीं जोड़ा जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि शासनादेश 26 अगस्त 1977, 26 मार्च 1980, 22 मार्च 1991, 07 नवंबर 2014 एवं 17 जून 2021 में सैन्यकर्मियों की पूर्व सेवाओं को जोड़े जाने का स्पष्ट प्रावधान है। हाईकोर्ट ने हंस नाथ द्विवेदी एवं हरि चंद के मामले में यह विधि व्यवस्था दी थी।