मृतक कर्मी की विवाहित पुत्री की अनुकंपा नियुक्ति की अर्जी पर दोबारा गौर करने का आदेश
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक मृतक आश्रितों की सेवा मामले में दिए अहम फैसले में माना कि मृतक आश्रित कर्मी की विवाहित पुत्री भी अनुकंपा नियुक्ति का दावा कर सकती है। इस नजीर के साथ कोर्ट ने सिंचाई विभाग के मृतक कर्मी की विवाहित पुत्री की अनुकंपा नियुक्ति की अर्जी पर दो माह में दोबारा गौर करने का आदेश अफसरों को दिया।
पहले, विवाहित पुत्री की अनुकंपा नियुक्ति के दावे की अर्जी को यह कहकर खारिज कर दिया गया था कि वह परिवार में आश्रित नहीं है, उसके दो भाई नौकरी करते हैं और उसकी माता को पेंशन मिलती है। इसके खिलाफ पुत्री ने फिर कोर्ट की शरण ली थी।
यह फैसला व आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने मृतक आश्रित कर्मचारी की पुत्री कविता तिवारी की याचिका मंजूर करके दिया। याची ने अर्जी को खारिज करने के आदेश को चुनौती देकर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया था।
याची का कहना था कि उसके पिता सिंचाई और जल संसाधन विभाग में बतौर ड्राइवर लखनऊ में कार्यरत थे। जिनकी वर्ष 2019 में सेवाकाल में मृत्यु हो गई थी। जब याची ने अनुकंपा नियुक्ति देने के आग्रह के साथ विभाग को अर्जी दी तो अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि विवाहित होने से वह परिवार में आश्रित नहीं है, उसके दो भाई नौकरी करते हैं और उसकी माता को पेंशन मिलती है।
याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने पहले वर्ष 1974 के संबंधित नियमों के तहत विवाहित पुत्री के अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर पुनः गौर करने का निर्देश दिया था। क्योंकि यह नियम ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं करते हैं कि याची के भाई सरकारी सेवा में हैं या फिर उसकी माता को पेंशन मिलती है। उधर, सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया।
कोर्ट ने कहा कि वर्ष 1974 के नियमों के तहत अनुकंपा नियुक्ति के दावेदार के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह मृतक कर्मी पर आश्रित हो। साथ ही कोर्ट ने एक अन्य नजीर के हवाले से कहा कि मृतक कर्मी के पुत्र का सरकारी सेवा में होना भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए प्रतिबंध नहीं है। क्योंकि पुत्र की आय अपनी पत्नी व बच्चों वाले परिवार के लिए है। सिर्फ मृतक की पत्नी या पति में से अगर कोई सरकारी सेवा में है, तो इनमें से कोई अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं कर सकता।
ऐसे में याची के भाईयों का सरकारी सेवा में होना और उसकी माता को पेंशन मिलना, विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति मांगने से प्रतिबंधित नहीं करते। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याची के अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया।