सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण पर हाई कोर्ट ने दिया अहम आदेश
कहा, विना चुनाव आयोग की अनुमति के विना स्थानांतरण आदेश और उसका क्रियान्वयन नहीं हो सकता
लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद पूर्व से जारी स्थानांतरण आदेश को भी क्रियान्वित नहीं किया जा सकता। ऐसे स्थानांतरण आदेश के क्रियान्वयन के लिए चुनाव आयोग की अनुमति आवश्यक है। यह कहते हुए कोर्ट ने जल संस्थान, झांसी के महाप्रबंधक मनोज कुमार आर्या के स्थानांतरण आदेश को खारिज कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि सरकार नियमानुसार याची का स्थानांतरण करने के लिए स्वतंत्र है।
जस्टिस श्री प्रकाश सिंह की एकल पीठ के समक्ष याची मनोज कुमार आर्या के अधिवक्ता का कहना था कि 28 नवंबर, 2023 को ही उसका तबादला झांसी से लखनऊ नगर निगम के वाटर वर्क्स डिपार्टमेंट में किया गया था। 16 मार्च, 2024 को दोपहर बाद तीन बजे आम चुनावों की घोषणा के साथ देश में आचार संहिता लागू हो गई। उसी दिन याची का स्थानांतरण आदेश पारित करते हुए उसे रिलीव कर दिया गया, लेकिन रिलीव आर्डर रात साढ़े आठ बजे प्राप्त कराया गया। याची की ओर से आचार संहिता लागू होने के आधार पर स्थानांतरण व रिलीव आदेश को चुनौती दी गई थी।
राज्य सरकार की ओर से याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि 16 मार्च को आचार संहिता लागू होने से पूर्व याची का स्थानांतरण व रिलीव आदेश जारी कर दिया गया था। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि रिकार्ड से यह स्पष्ट है कि रिलीव आदेश का सटीक समय बताने में राज्य सरकार असफल रही है, जबकि यह स्पष्ट है कि रिलीव आदेश रात्रि में साढ़े आठ बजे प्राप्त कराया गया।
कोर्ट ने कहा कि आदर्श आचार संहिता के प्रविधानों के मुताबिक अधिसूचना जारी होने के पूर्व में पारित स्थानांतरण आदेश को भी चुनाव आयोग की अनुमति से ही क्रियान्वित किया जा सकता है। इन टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने स्थानांतरण व रिलीव आदेश दोनों को निरस्त कर दिया है। अपने आदेश में कोर्ट ने साफ किया कि सरकार चाहे तो आचार संहिता का पालन करते हुए याची का स्थानांतरण कर सकती है।