कमाई नहीं फिर भी देना होगा पत्नी को गुजारा-भत्ता, हाईकोर्ट ने SC के फैसले को माना नजीर पटना हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता के मामले में अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को नजीर मानते हुए कमाई नहीं होने पर भी पति को पत्नी को गुजारा-भत्ता देने का आदेश दिया है।
पटना हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि जिस व्यक्ति की आय एक रुपए भी नहीं है, उसे भी पत्नी को बतौर गुजारा-भत्ता चार हजार रुपये प्रति माह देना होगा। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकलपीठ ने धीरज कुमार की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। शेखपुरा जिले से जुड़े एक मामले में निचली अदालत द्वारा सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पत्नी को गुजारा-भत्ता में चार हजार रुपये देने का आदेश दिया गया था। इसी आदेश को आवेदक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी।
आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उसकी कोई आमदनी नहीं है। वह कोलकाता में अपने पिता को पानीपुरी बेचने में मदद करता है। इससे रोजना मात्र दो सौ रुपये की कमाई होती है। ऐसे में प्रति माह चार हजार रुपया पत्नी को देना संभव नहीं है। इसपर कोर्ट ने कहा कि केस के रिकॉर्ड देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि किसी भी पक्ष ने आय के समर्थन में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है। किसी भी दस्तावेज के अभाव में यह माना जायेगा कि आवेदक एक दैनिक मजदूर के रूप में काम कर रहा है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट के अंजू गर्ग बनाम दीपक कुमार गर्ग के फैसले का हाईकोर्ट ने हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे व्यक्ति जिसकी आय रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है और वह बेरोजगार होने का दावा करता है, उसके मासिक वेतन को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के आधार पर माना जाना चाहिए। राज्य में एक व्यक्ति की प्रतिदिन की न्यूनतम मजदूरी चार सौ रुपये तय है। इसलिए कोर्ट उसकी अनुमानित आय प्रति दिन चार सौ रुपये मानती हैं।
इस प्रकार आवेदक दिहाड़ी मजदूर के रूप में प्रति माह 12 हजार रुपये कमाता है। कोर्ट ने कहा कि आवेदक अपनी पत्नी को भरण-पोषण के रूप में आय का एक तिहाई हिस्सा देने के लिए बाध्य है। फैसले सुनाने के साथ कोर्ट ने आवेदक की अर्जी खारिज कर दी।