8th Pay Commission: अब आठवें वेतन आयोग के गठन पर मची रार, कार्मिक कर रहे इंतजार पर सरकार कर रही इंकार, चुनाव से पहले कुछ बदलेंगे क्या बदलेंगे हालात?
स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार का कहना है, कर्मियों के डीए का आंकड़ा अब 50 फीसदी हो गया है। अब केंद्र सरकार के समक्ष, दमदार तरीके से 8वें वेतन आयोग के गठन का प्रस्ताव रखा जाएगा।
केंद्र सरकार ने अपने कर्मियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते व महंगाई राहत में चार फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। अब डीए/डीआर की दर 50 फीसदी पर पहुंच गई है। नियम यह है कि डीए की दर पचास फीसदी के पार होते ही कर्मियों के वेतनमान और भत्तों में बदलाव होता है। कर्मियों को अब आठवें वेतन आयोग के गठन का इंतजार है।
कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर आग्रह किया था कि मौजूदा परिस्थितियों में बिना किसी विलंब के आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाए। इंडियन रेलवे टेक्निकल सुपरवाइजर एसोसिएशन 'आईआरटीएसए' ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है कि अब केंद्र सरकार को बिना किसी देरी के आठवें वेतन आयोग का गठन करना चाहिए।
सरकार नहीं कर रही विचार
संसद के पिछले सत्र के दौरान सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर दो टूक जवाब दे दिया था। छह फरवरी को राज्यसभा में सांसद राम नाथ ठाकुर ने आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर सवाल पूछा था। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इस सवाल के जवाब में कहा, सरकार के पास इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। हालांकि उन्होंने वेतन आयोग के गठन को लेकर पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था और तीस वर्ष से महंगाई का सामना, यह तर्क भी दिया है।
राम नाथ ठाकुर ने पूछा था, सरकार द्वारा सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के पैरा 1.22 पर विचार न करने और उसे अनुमोदित न किए जाने के फाइलों में दर्ज कारण क्या हैं। क्या इस तथ्य के कारण कि सरकार वेतन आयोग संबंधी खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं है, क्या इसलिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और ऐसी स्थिति के क्या कारण हैं। यदि नहीं, तो पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था द्वारा आठवें केंद्रीय वेतन आयोग का गठन न किए जाने और विगत तीस वर्षों से अभूतपूर्व मुद्रास्फीति का सामना कर रहे केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के वेतन में संशोधन न किए जाने के क्या कारण हैं।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दिया यह जवाब
सातवें वेतन आयोग के आधार पर वेतन और भत्तों में संशोधन को अनुमोदन देते समय केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस मामले पर विचार नहीं किया है। चौधरी ने कहा, सरकार के पास इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। 'भारत पेंशनर समाज' (बीपीएस) ने भी 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग उठाई थी। बीपीएस के महासचिव एससी महेश्वरी ने कहा था, 68वीं एजीएम के दौरान यह प्रस्ताव पास किया गया है कि अविलंब आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाए। देश में आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर कर्मियों की तरफ से केंद्र सरकार के पास कई तरह के सुझाव आ रहे हैं।
इंडियन रेलवे टेक्निकल सुपरवाइजर एसोसिएशन 'आईआरटीएसए' ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पूर्व वेतन आयोगों द्वारा की गई सिफारिशों का हवाला देते हुए अविलंब आठवां वेतन आयोग गठित करने की मांग की है। तीसरे, चौथे और पांचवें सेंट्रल पे कमीशन 'सीपीसी' ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों की समय-समय पर समीक्षा करने के लिए स्थायी मशीनरी गठित करने की सिफारिश की है। केंद्र सरकार को सीपीसी गठित करने के लिए दस वर्ष का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है।
लंबी अवधि की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं
आईआरटीएसए के अनुसार, सातवें वेतन आयोग ने कहा है कि सीपीसी के गठन के लिए दस साल की लंबी अवधि की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। इस अवधि के पूरा होने से पहले भी वेतन आयोग के गठन पर समीक्षा की जा सकती है। 7वीं सीपीसी की सिफारिशों के अनुसार, गत दस वर्षों में सरकारी कामकाज, प्रदर्शन और भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि, विभिन्न कर संग्रह की मात्रा, सरकारी विभागों की भूमिका, मुद्रास्फीति पैटर्न, मुद्रास्फीति के कारण वास्तविक वेतन में कमी और सेवा की स्थिति, आदि में कई बदलाव हुए हैं।
सार्वजनिक उपयोगिताओं में निजी क्षेत्रों की भूमिका और उन पर सरकार का विनियमन, प्रत्येक विभाग में कर्मचारियों की संख्या, राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत कवर किए गए कर्मचारियों की संख्या, गरीबी में उल्लेखनीय कमी, कर्मचारियों और आम जनता के उपभोग पैटर्न में बदलाव, आदि भी देखे गए हैं।
दो करोड़ कर्मचारियों एवं पेंशनरों में नाराजगी
स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार का कहना है, कर्मियों के डीए का आंकड़ा अब 50 फीसदी हो गया है। अब केंद्र सरकार के समक्ष, दमदार तरीके से 8वें वेतन आयोग के गठन का प्रस्ताव रखा जाएगा।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा के मुताबिक, आठवें वेतन आयोग का गठन न होने से देशभर के दो करोड़ सरकारी कर्मचारियों एवं पेंशनरों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित न करने के फैसले को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। 'भारत पेंशनर समाज' ने भी 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग उठाई है।
2013 में गठित हुआ 7वां वेतन आयोग
बतौर सुभाष लांबा, केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का यह बयान इशारा करता है कि 48.67 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों के लिए सरकार के एजेंडे में आठवां वेतन आयोग गठित करने की कोई योजना नहीं है। इस बयान से केंद्रीय एवं राज्य कर्मियों एवं पेंशनर्स को तगड़ा झटका लगा है। उनमें आक्रोश व्याप्त है।
वेतन आयोग से देश के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को उनके वेतन, पेंशन और भत्तों में कुछ बढ़ोतरी होने की उम्मीद बनी रहती है। केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों और राज्य सरकार के कर्मियों पर आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को जनवरी 2026 से लागू किया जाना प्रस्तावित है। पिछला वेतन आयोग 2013 में गठित हुआ था, जबकि इसकी सिफारिशें 2016 में लागू हुई थी।