आठ फीसदी सालाना ब्याज की दर के साथ दो माह में विभागीय अधिकारी कानूनी वारिसों को जीपीएफ का भुगतान करें
31 वर्ष तक रिटायर्ड अधिकारी के दस्तावेज ही एकत्र करता रहा पंचायतीराज विभाग
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया कि 31 साल पूर्व सेवानिवृत्त और अब मृतक सहायक विकास अधिकारी (एडीओ) पंचायत के भविष्य निधि (जीपीएफ) की रकम उनके पुत्र व कानूनी वारिसों को दो माह में भुगतान करे। न्यायमूर्ति मनीष कुमार की एकल पीठ ने यह आदेश मृतक एडीओ बलिराम प्रसाद के बेटे भानु प्रताप सोनकर की याचिका पर दिया।
याची ने वर्ष 1992 में बलरामपुर के ब्लॉक पंचपेड़वा से सेवानिवृत्त हुए अपने पिता के भविष्य निधि की रकम का भुगतान करने का आग्रह किया था। याची के अधिवक्ता मोती लाल यादव का कहना था कि याची के पिता के भविष्य निधि की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। बाद में उनकी मृत्यु हो गई। मामले में कोर्ट ने पंचायतीराज विभाग से जवाब के साथ ब्योरा तलब किया था।
कोर्ट के आदेश पर जिला पंचायत राज अधिकारी ने निजी जवाबी हलफनामा दाखिल कर माना कि याची के पिता को जीपीएफ का भुगतान नहीं किया गया। जबकि उनके पिता की कोई गलती नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि विभागीय अधिकारी वर्ष 1992 से 2023 तक यानि 31 सालों तक रिटायर अधिकारी की सर्विस बुक व भविष्य निधि भुगतान संबंधी दस्तावेज ही तलाशते रहे। पहली बार 12 जुलाई 2023 को याची समेत अन्य कानूनी वारिसों को पत्र लिखकर जीपीएफ भुगतान के लिए स्वप्रमाणित खातों की जानकारी देने के लिए कहा गया।
कोर्ट ने कहा कि याची व पांच अन्य कानूनी वारिस दो हफ्ते में यह ब्योरा पेश करें। खातों की जानकारी मिलने पर बलिराम के सेवानिवृत्ति की तिथि से 12 जुलाई 2023 तक आठ फीसदी सालाना ब्याज की दर के साथ दो माह में विभागीय अधिकारी उनके कानूनी वारिसों को जीपीएफ का भुगतान करें। इस आदेश के साथ कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।