संशोधन कानून की वैधता चुनौती याचिका के साथ नामित पीठ करेगी सुनवाई
राज्य सरकार की विशेष अपील की गई सुनवाई
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी क्वालिफाइंग सर्विसेज फार पेंशन एंड बेलिडेशन एक्ट संशोधन कानून की वैधता की चुनौती याचिका के साथ तदर्थ सेवाओं को पेंशन तय केस करने में जोड़ने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील की सुनवाई के लिए पीठ नामित करने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को संदर्भित कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए दिया है।
अपील पर अपर महाधिवक्ता अशोक मेहता व विपक्षी जय कृष्ण तिवारी के वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी व राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की। इनका कहना था कि विपक्षी याची की 18 जून 88 को तदर्थ रूप में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्ति की गई और 16 मई 2005 को नियमित किया गया। सेवानिवृत्ति के बाद याची ने तदर्थ सेवा को जोड़कर पेंशन निर्धारित करने की अर्जी दी। विभाग ने 26 अप्रैल 22 के आदेश से इन्कार कर दिया, जिसे चुनौती दी गई।
हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए याची को तदर्थ सेवा जोड़कर सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान का आदेश दिया। इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका विचाराधीन है। वहीं, एकलपीठ के आदेश का पालन भी कर दिया गया है। इसके बाद यह अपील दायर की गई है। कोर्ट ने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुनने के बाद कोई अंतरिम राहत नहीं दी और अपील को लंबित याचिका के साथ सुनवाई का आदेश दिया है।