सुप्रीम कोर्ट ने शादी के कारण महिला अधिकारी की बर्खास्तगी मनमाना व भेदभाव पूर्ण बताया
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व लेफ्टिनेंट सेलिना जॉन को 60 लाख देने का केंद्र को दिया निर्देश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सैन्य नर्सिंग सेवा में स्थायी कमीशन अधिकारी को शादी की वजह से नौकरी से हटाना मनमाना और लैंगिक भेदभाव वाला असमानता का घृणित मामला है। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूर्ण व अंतिम निपटान के रूप में आठ सप्ताह के भीतर पूर्व लेफ्टिनेंट सेलिना जॉन को 60 लाख रुपये देने का आदेश दिया है।
जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, एक नियम के आधार पर शादी के कारण उनको हटाना अवैध था। ऐसा नियम स्पष्ट रूप से मनमाना है, क्योंकि महिला ने शादी कर ली है, इसलिए रोजगार समाप्त करना लैंगिक भेदभाव का बड़ा मामला है। ऐसे पितृसत्तात्मक नियम को स्वीकार करना मानवीय गरिमा, गैर-भेदभाव के अधिकार व निष्पक्ष व्यवहार को कमजोर करता है।
केंद्र सरकार ने उन्हें सभी परिणामी लाभों के साथ बहाल करने के सशस्त्र बल न्यायाधिकरण, लखनऊ के फैसले को चुनौती दी थी। हालांकि, पीठ ने कहा कि अधिकारी को हटाने को गलत और अवैध बताने वाले न्यायाधिकरण के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
कोई भी दलील स्वीकार करने में असमर्थ
पीठ ने कहा, हम यह दलील स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि स्थायी कमीशन अधिकारी को इस आधार पर मुक्त किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने शादी कर ली थी। कोर्ट को बताया गया कि 1977 के सैन्य नर्सिंग सेवा में स्थायी कमीशन देने के लिए सेवा के नियम और शर्तें-निर्देश संख्या 61 को 29 अगस्त, 1995 को वापस ले लिया गया था। इसके अनुसार शादी करने या कदाचार पर नियुक्ति रद्द की जा सकती है।