मोदी सरकार 2.0 का आखिरी बजट आज संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का छठा बजट पेश किया है। ये अंतरिम बजट है. बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आयात शुल्क सहित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों की टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
वहीं, 2014 के बाद से कर दाखिल करने वालों की संख्या में 2.4 गुना की बढ़ोतरी हुई है और डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन तीन गुना हो गया है। इस अंतरिम बजट में आम लोगों के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई और ना ही टैक्स स्लैब में कोई बदलाव किया गया। यानी पुराने टैक्स स्लैब को ही बरकरार रखा गया है। 7 लाख रुपये तक की आय में कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा
Budget 2024 Income Tax: मोदी सरकार द्वारा टैक्स स्लैब में राहत नहीं मिलने पर मिडिल क्लास की उम्मीदें जरूर 'खल्लास' हुई हैं। सोशल मीडिया पर मीम्स से लोगों का गुस्सा साफ देखा जा सकता है।
Budget 2024 Taxpayers Memes: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 1 फरवरी को लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय बजट 2024 पेश किया। यह मोदी सरकार का अंतरिम बजट था क्योंकि यह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया है। बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिडिल क्लास को टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद थी लेकिन, सरकार ने पुरानी और नई दोनों व्यवस्थाओं में टैक्स स्लैब में किसी बदलाव की घोषणा नहीं की।
इस बजट में वित्त मंत्री ने पिछले 10 साल में मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। टैक्स स्लैब में राहत नहीं मिलने पर मिडिल क्लास की उम्मीदें जरूर 'खल्लास' हुई हैं। सोशल मीडिया पर मीम्स से लोगों का गुस्सा साफ देखा जा सकता है।
मोदी सरकार के अंतरिम बजट को हालांकि मोदी सरकार खुद ने पूरे नंबर दिए हैं लेकिन, विपक्ष ने इसे आम आदमी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने वाला बजट बताया है। उधर, विपक्ष ने इस बजट पर निराशा जताई है।
इस अंतरिम बजट में उन करदाताओं को राहत मिली है, जिन पर विवादित प्रत्यक्ष कर बकाया है। इस फैसले से खासकर मध्यम वर्ग के आयकर दाताओं को राहत मिलने की संभावना है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, बड़े पैमाने पर छोटे, गैर-सत्यापित, गैर-समाधान या विवादित प्रत्यक्ष करों की डिमांड बकाया है, इनमें से कई वर्ष 1962 की हैं। जिनके बने रहने से करदाताओं को चिंता रहती है और ये ईमानदार करदाताओं के वर्षों के रिफंड में बाधा भी हैं।
सरकार ने वित्त वर्ष 2009-10 तक के 25000 रुपये तक की टैक्स डिमांड और 2014-15 तक की 10000 रुपये तक की टैक्स डिमांड को वापस लेने का प्रस्ताव दिया है। इससे 1 करोड़ करदाताओं को फायदा होगा। सरकार का ध्यान टैक्सपेयर्स के लिए सेवाओं में सुधार पर है।