करदाताओं को एक लाख रुपये तक की मिलेगी छूट, 1.11 करोड़ करदाताओं को राहत मिलने की आस, वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट में की थी घोषणा
नई दिल्ली। अंतरिम बजट में की गई घोषणा के तहत पुराने कर बकाया मांग मामले में हर करदाता को अधिकतम एक लाख रुपये की छूट मिलेगी। आयकर विभाग ने कर छूट की सीमा निर्धारित कर दी है। सरकार के इस फैसले से करीब 1.11 करोड़ करदाताओं को राहत मिलने की उम्मीद है, जिन्हें आयकर विभाग ने कर विवाद मामले में मांग नोटिस भेजा है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने छोटी कर मांगों को वापस लेने की 2024-25 के अंतरिम बजट में की गई घोषणा को अमल में लाने के लिए इस संबंध आदेश जारी किया है।
आदेश में कहा गया है कि 31 जनवरी, 2024 तक आयकर, संपत्ति कर और उपहार कर से संबंधित बकाया कर मांगों को माफ करने को लेकर प्रति करदाता एक लाख रुपये की अधिकतम सीमा तय की गई है। एक लाख रुपये की सीमा में कर मांग की मूल राशि, ब्याज, जुर्माना या शुल्क, उपकर और अधिभार शामिल है।
....नहीं कर पाएंगे रिफंड का दावा
नांगिया एंडरसन इंडिया के पार्टनर मनीष बावा ने कहा, निर्देश स्पष्ट करता है कि यह छूट करदाताओं को 'क्रेडिट' या 'रिफंड' के किसी भी दावे का अधिकार नहीं देती है। यानी करदाता रिफंड का दावा नहीं कर पाएंगे। यह छूट करदाता के खिलाफ चल रही, नियोजित या संभावित आपराधिक कानूनी कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगी। किसी भी कानून के तहत कोई सुरक्षा नहीं देती है।
वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट में की थी घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट भाषण में आकलन वर्ष 2010-11 तक की अवधि के लिए 25,000 रुपये और आकलन वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक अधिकतम 10,000 रुपये की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को माफ करने की घोषणा की थी। इसमें शामिल कुल कर मांग 3,500 करोड़ रुपये है।
इन्हें नहीं मिलेगी छूट
सीबीडीटी के आदेश के मुताबिक, आयकर अधिनियम के टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) या टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) प्रावधानों के तहत टैक्स कटौती करने वालों या कर संग्रहकर्ताओं के खिलाफ की गई मांगों पर एक लाख रुपये की यह छूट लागू नहीं होगी।
पुरानी कर मांग वापस लेने में एक लाख की सीमा तय
नई दिल्ली । आयकर विभाग ने छोटी कर मांगों को वापस लेने को लेकर बजट में की गई घोषणा के तहत प्रति करदाता एक लाख रुपये तक की सीमा निर्धारित की है।
वित्त मंत्री ने 2024-25 के अंतरिम बजट भाषण में आकलन वर्ष 2010-11 तक 25,000 रुपये और आकलन वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक 10,000 रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने की घोषणा की। इसमें शामिल कुल कर मांग करीब 3,500 करोड़ रुपये है। सीबीडीटी ने 2024-25 के अंतरिम बजट में की गई घोषणा को अमल में लाने के लिए यह आदेश जारी किया।
सीबीडीटी ने आदेश में कहा है कि 31 जनवरी, 2024 तक आयकर, संपत्ति कर और उपहार कर से संबंधित ऐसी बकाया कर मांगों को माफ करने को लेकर प्रति करदाता के लिए एक लाख रुपये की अधिकतम सीमा तय की गई है। एक लाख रुपये की सीमा में कर मांग की मूल राशि, ब्याज, जुर्माना या शुल्क, उपकर, अधिभार शामिल है। हालांकि, आयकर अधिनियम के टीडीएस या टीसीएस प्रावधानों के तहत कर कटौती करने वालों कर संग्राहकों के खिलाफ की गई मांगों पर यह छूट लागू नहीं होगी।
क्रेडिट' या 'रिफंड' के दावे का अधिकार नहीं
नांगिया एंडरसन इंडिया के भागीदार मनीष बावा ने कहा कि निर्देश यह स्पष्ट करता है कि यह छूट करदाताओं को क्रेडिट या रिफंड के किसी भी दावे का अधिकार नहीं देता है। इसके अतिरिक्त, छूट करदाता के खिलाफ चल रही, नियोजित या संभावित आपराधिक कानूनी कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगी और किसी भी कानून के तहत कोई प्रतिरक्षा प्रदान नहीं करती है।