पुरानी पेंशन की मांग को लेकर 01 मई से रेल कर्मचारियों की अनिश्चचितकालीन हड़ताल, 1974 से बड़ी स्ट्राइक की चेतावनी
रेलवे कर्मचारियों ने 1 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर उन्होंने हड़ताल का आह्वान किया है। इस बारे में दिल्ली में बैठक के बाद स्ट्राइक का फैसला लिया गया। रेलवे यूनियनों का दावा है कि यह 1974 की हड़ताल से भी बड़ी हो सकती है।
लखनऊ: पुरानी पेंशन की बहाली के लिए एक मई से रेलवे बंद का निर्णय लिया गया है। यह हड़ताल अनिश्चितकालीन होगी। दिल्ली में जॉइन्ट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। हड़ताल के लिए 19 मार्च को फोरम की ओर से नोटिस दिया जाएगा। हड़ताल के छह सप्ताह पहले नोटिस दिया जाना अनिवार्य होता है।
फोरम के कन्वीनर और ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने बताया कि यह हड़ताल ना सिर्फ निर्णायक होगी बल्कि ऐतिहासिक भी होगी। बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में राज्यों के कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया है। उन्होंने बताया कि इस हड़ताल में देशभर के रेलकर्मियों के अलावा राज्यकर्मी भी हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि उनकी मांगों को जब तक मान नहीं लिया जाएगा, यह हड़ताल जारी रहेगी। शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि सरकार पुरानी पेंशन की मांगों की लगातार अनदेखी कर रही है। पुरानी पेंशन हमारा हक है। न्यू पेंशन स्कीम हमें स्वीकार नहीं है।
कराया था मतदान
पुरानी पेंशन की बहाली के मुद्दे पर हड़ताल को लेकर नवंबर और दिसंबर में गुप्त मतदान कराया गया था। इसमें 98% से अधिक रेल कर्मचारियों ने हड़ताल के पक्ष में मतदान किया था। तभी यह तय हो गया था कि हड़ताल होगी। लखनऊ में भी उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के कर्मचारियों ने मतदान किया था।
दावा: कर्मचारी अफसर सब होंगे शामिल
शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि पेंशन भविष्य को बचाने की लड़ाई है। इस लड़ाई में कर्मचारी ही नहीं अफसर भी शामिल हैं। सरकार ने कमिटी बनाई लेकिन कई सालों बाद भी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। आईएएस, आईपीएस, पैरा मिलिट्री के लोग भी पेंशन बहाली के लिए सरकार के सामने गए थे। अफसरों से उन्होंने पूछा था कि पुरानी पेंशन वालों की तुलना में न्यू पेंशन वालों को कम पेंशन मिलेगी। इसमें हमारा क्या दोष है। अफसर उनके सवालों का जवाब नहीं दे सके थे। उन्होंने कहा कि पेंशन बहाली की लड़ाई में युवाओं के साथ आने से उत्साह बढ़ा है। रेलवे में एक जनवरी 2004 के बाद भर्ती होने वाले कर्मियों की संख्या नौ लाख से ज्यादा है। इस साल भी एक लाख भर्ती होंगे।
1974 से भी बड़ी हड़ताल का दावा
रेलकर्मियों ने दावा किया है कि 1974 से भी बड़ी रेल हड़ताल होगी। बोनस की मांग को लेकर 1974 भारतीय रेल के कर्मचारियों ने 20 दिन की हड़ताल की थी। इस हड़ताल में 17 लाख कर्मचारियों ने भाग लिया था। इसका नेतृत्व जॉर्ज फर्नांडीज ने किया था जो उस समय इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष थे। बीस दिन चली रेल हड़ताल से भारत में हाहाकार मच गया था। माना जाता है कि इस हड़ताल ने देश के मजदूरों की बुनियादी समस्याओं परब बहस की शुरूआत की थी।
लखनऊ से ही गिरफ्तार हुए थे फर्नांडीस
1974 की रेल हड़ताल करीब 22 दिन चली थी। इसकी शुरुआत आठ मई से होनी थी, लेकिन उसके पहले ही एक मई को हड़ताल के नेतृत्वकर्ता जॉर्ज फर्नांडीज को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके बाद रेलकर्मी नाराज हो गये और कई जगहों पर दो मई से ही हड़ताल पर चले गए। हालांकि पूरा जोर आठ मई 1974 को ही पकड़ पाया। पूरे देश में 15 मई तक भीषण चक्काजाम रहा।
हालांकि रेलकर्मियों का आरोप है कि तत्कालीन सरकार ने फर्जी तरीके से ट्रैक पर ट्रेनों के इंजन चलाए थे। वहीं कई कई जगहों पर कुछ ट्रेनें भी चलीं, लेकिन उसमें कोई सवार नहीं था। सिर्फ सेना के लोग थे। यह ट्रेनें सिटी बजाती जाती थीं, लेकिन कोई उसमें सवार नहीं होता था। शिवगोपाल मिश्रा ने बताया कि फिरोजपुर, मुरादाबाद, लखनऊ रेल मंडल में हड़ताल बेहद सफल रही थी। दिल्ली में 75 प्रतिशत, लखनऊ में 80 प्रतिशत, भटिंडा में भी करीब-करीब पूरी ट्रेन बंद थी। 28 मई 1974 को ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन ने हड़ताल को वापस लिया था।