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Sunday, January 28, 2024

बेरोजगार पति को भी देना होगा गुजारा भत्ता – हाईकोर्ट

बेरोजगार पति भी पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य 

हाईकोर्ट ने कहा, कुशल श्रमिक के रूप में रोज कमा सकता है साढ़े तीन सौ से चार सौ रुपये


लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा कि एक बेरोजगार पति भी अपनी पत्नी को कानून के तहत भरण-पोषण देने को बाध्य है, क्योंकि वह अकुशल श्रमिक के रूप में रोज 350 से 400 रुपये कमा सकता है।


यह फैसला न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की एकल पीठ ने पारिवारिक न्यायालय उन्नाव के आदेश को चुनौती देने वाली पति की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करके दिया। पारिवारिक अदालत ने याची पति को आदेश दिया था कि वह पत्नी को 2000 रुपये मासिक भरण पोषण के रूप में दे। इस मामले में पत्नी ने पति के खिलाफ मारपीट और दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था।


जब पत्नी अपनी ससुराल नहीं लौटी तो पति ने दाम्पत्य अधिकारों की बहाली के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत मुकदमा दायर किया, जो लंबित है। इसी बीच पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति से गुजारा दिलाने की अर्जी अदालत में दी। जिसे न्यायालय ने मंजूर कर पति को हर माह पत्नी को 2000 रुपए भरण पोषण देने का आदेश दिया। पति ने इसको चुनौती देकर कहा कि पत्नी 28 जनवरी 2016 से अपने माता पिता के घर रह रही है। ऐसे में वह पति से भरण पोषण पाने की हकदार नहीं है।

पति की ओर से कहा गया कि वह बेरोजगार है और मारुति वैन चलाता हैं जिससे कोई खास आय नहीं होती है। कोर्ट ने एक नजीर के हवाले से कहा कि अगर यह माना जाए कि पति को कोई आय नहीं है तब भी वह पत्नी को भरण पोषण देने को बाध्य है। पति स्वस्थ और आजीविका कमाने में सक्षम है। अगर वह अकुशल श्रमिक के रूप में भी काम करे तो रोजाना 350 से 400 रुपये कमा सकता है


बेरोजगार पति को भी देना होगा गुजारा भत्ता – हाईकोर्ट 


लखनऊ । हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि पति की अगर कोई आमदनी नहीं है इसके बावजूद पत्नी को भरण पोषण देना उसका दायित्व है।

न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि यदि कुछ भी न कमाने वाला पति अन-स्किल्ड लेबर के तौर पर काम करे तो भी वह साढ़े तीन सौ से चार सौ रुपये प्रतिदिन कमा सकता है। 


यह निर्णय न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की एकल पीठ ने भरण पोषण से संबंधित एक मामले में पति की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। 

याची पति की ओर से दलील दी गई थी कि परिवार न्यायालय, उन्नाव ने उसे अपनी पत्नी को दो हजार रुपए प्रति माह भरण पोषण देने का आदेश दिया है जबकि वह बेरोजगार है। याची पति ने दलील दी थी कि पत्नी व्याभिचार में शामिल है।

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