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Friday, January 12, 2024

OPS : पेंशन है बुढ़ापे का सहारा – सरकार न मारो हक हमारा के नारे के साथ चार दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त

OPS : पेंशन है बुढ़ापे का सहारा – सरकार न मारो हक हमारा के नारे के साथ चार दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त 


12 जनवरी 2024

प्रयागराज। कर्मचारियों को जूस पिलाकर नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के महामंत्री आरडी यादव ने डीआरएम ऑफिस के पीछे न्यू पेंशन स्कीम के विरोध में चल रही चार दिन से भूख हड़ताल समाप्त कराई। उन्होंने कहा कि पेंशन रेलकर्मियों के बुढ़ापे का सहारा है, सरकार इस हक को न मारो। महामंत्री ने सरकारी कर्मचारी संगठनों को आवाहन किया कि फरवरी के अंत तक यदि सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल नहीं की तो मार्च में अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए तैयार रहना होगा।


मेंस यूनियन के मंडल मंत्री डीएस यादव ने कहा कि ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन की एक आवाज पर प्रयागराज मंडल में एक भी ट्रेन नहीं चलने दी जाएगी। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, शिक्षक महासंघ के नेताओं ने कहा कि रेल ही नहीं, बल्कि परिवहन विभाग भी जेएफआरओपीएस का घटक है। लिहाजा हम रेल के साथ-साथ सड़क परिवहन को भी ठप कर देंगे।

भूख हड़ताल स्थल पर दिशा छात्र संगठन के लोगों के पुरानी पेंशन गीत भी पेश किए। इस दौरान शीतला प्रसाद श्रीवास्तव, सुभाष चंद्र पांडेय, नागेन्द्र बहादुर सिंह, सईद अहमद, अजय मालवीय, वीपी सिंह, श्याम सूरत पांडेय, विजेंद्र यादव, अरविंद पांडेय, संजय तिवारी रहे।



11 जनवरी 2024

ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्र ने दी चेतावनी 

29 फरवरी तक का समय, फिर होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

ट्रेनों के साथ बस भी रोकेंगे, स्कूलों और सभी कार्यालयों में करेंगे तालाबंदी

पुरानी पेंशन बहाली के लिए रेलवे यूनियनों का क्रमिक अनशन जारी


प्रयागराज । पुरानी पेंशन को बहाल करने के लिए आंदोलनरत रेलवे यूनियनों की क्रमिक भूख हड़ताल बुधवार को भी जारी रही। रेलकर्मियों के के साथ केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों के संगठन भी शामिल रहे। संयुक्त मोर्चा के बैनर तले भूख हड़ताल के साथ ही धरना प्रदर्शन कर विरोध जताया जा रहा है। बुधवार को प्रयागराज में रेलवे यूनियन के बड़े नेताओं ने हुंकार भरी।

आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर हुई बैठक में पुरानी पेंशन बहाली के लिए सरकार को 29 फरवरी 2024 तक का वक्त दिया गया है। अब आंदोलन और तेज होगा। इसके बाद मार्च 2024 में सभी एक तारीख तय कर अनिश्चतकालीन हड़ताल शुरूकर देंगे। 

वरिष्ठ नेता शिवगोपाल मिश्र बुधवार को नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के धरना स्थल पर भोड़ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब हड़ताल में रेलकर्मियों के साथ शिक्षक, परिवहन चालक ऐसे संगठन शामिल होंगे कि बसें नहीं चलेंगी। स्कूल बंद होंगे, कार्यालय नहीं खुलने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में हिंसा नहीं करेंगे लेकिन अपनी बात जोरदारी से पेश करेंगे। 

एनसीआरएमदू के महामंत्री आरही यादव ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए सरकार से लड़ाई को सभी तैयार हैं। जितना भी संघर्ष करना पड़े पुरानी पेंशन लेकर रहेंगे। मंडल मंत्री डीएस यादव, एसके सिंह, हरि किशोर तिवारी, आरके पांडे, विजय मिळ, गीता पांडे, सुभाष चंद्र पांडे, अरविंद मिश्रा, नागेन्द्र बहादुर सिंह, केएसपी राव, लवकुश सिंह, शीतला प्रसाद ओवास्तव, नागेंद्र सिंह यादव, अरविंद पांडेय, विजेंद्र यादव मौजूद रहे।


पुरानी पेंशन की लड़ाई जरूर जीतेंगे

प्रयागराज । पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर नॉर्थ सेंट्रल रेलवे इंप्लाइज संघ के नेतृत्व में प्रयागराज जंक्शन के सर्कुलेटिंग एरिया में टेंट लगाकर क्रमिक भूख हड़ताल बुधवार को भी जारी रही। धरना स्थल पर पहुंचे महामंत्री आरपी सिंह ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि यह लड़ाई हम जरूर जीतेंगे। सरकार किसी तरह की आनाकानी करेगी तो रेल का चक्काजाम होगा। 

मंडल मंत्री चन्दन कुमार सिंह ने भी हुंकार भरी। कहा कि इस बार सरकार को झुकना ही होगा। देशभर का जनसमर्थन कर्मचारियों के साथ है। अखिलेश राठौर के साथ 50 से अधिक महिला कर्मचारियों ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। संतोष कुमार सिंह, सुधीर कुमार, रुकमा नन्द पाण्डेय, अनिल यादव, नागेन्द्र श्रीवास्तव, राकेश कुमार सिंह, गिरीश मिश्रा आदि ने उपवास रखा।



पुरानी पेंशन के लिए मार्च में अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे रेलवे कर्मचारी

लखनऊ। पुरानी पेंशन बहाली की मांग पूरी न किए जाने से नाराज रेलवे कर्मचारी मार्च में हड़ताल करने की तैयारी में हैं। ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा भूख हड़ताल के बाद स्टीयरिंग कमेटी की बैठक बुलाकर अनिश्चितकालीन हड़ताल की तारीखों का एलान करेंगे। 


मंगलवार को भी नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन, एनई रेलवे मजदूर यूनियन, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, प्राथमिक शिक्षक संघ, आयकर, पोस्टल, दूरदर्शन, जीएसआई आदि विभागों के कर्मचारी भूख हड़ताल पर रहे। यह भूख हड़ताल 11 जनवरी तक होगी। इसके बाद रेलवे में चक्काजाम पर निर्णय लिया जाएगा। इस मौके पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने कहा किसरकार कई बार न्यू पेंशन स्कीम के गुण दोष को लेकर चर्चा कर साबित कर चुकी है कि यह कर्मचारियों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार पुरानी पेंशन की बहाली का एलान नहीं करती है तो लोकसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतने को तैयार रहे। 


रेलवे यूनियनों के साथ केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों की क्रमिक भूख हड़ताल और अनशन जारी, सरकार को चेताया, पुरानी पेंशन बहाल न की तो सड़क पर उतरेंगे


10 जनवरी 2024

प्रयागराज । पुरानी पेंशन को बहाल करने के लिए आंदोलनरत रेलवे यूनियनों की क्रमिक भूख हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही। रेलकर्मियों के साथ ही केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों के संगठन भी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले भूख हड़ताल में शामिल हुए। कई जगहों पर बनाए गए धरना स्थलों पर मंगलवार को भीड़ बढ़ गई।

नॉर्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन मंडल कार्यालय, प्रयागराज जंक्शन, प्रयाग स्टेशन समेत अन्य जगहों पर टेंट लगाकर क्रमिक भूख हड़ताल की जा रही है। जंक्शन पर बैठे एनसीआरईएस के पदाधिकारी आधी रात तक सरकार की नीतियों का विरोध करते रहे। खूब भाषणबाजी हुई। इसके बाद सुबह सुबह दूसरे नेताओं ने पहुंच मंच संभाल लिया। इसी प्रकार बिजली घर के सामने चल रहे प्रदर्शन में भी कुछ लोग पूरी रात अनशन पर टेंट में ही बैठे रहे। शेष लोग आते जाते रहे। मंगलवार को भीड़ बढ़ी तो आंदोलनरत कर्मियों का आक्रोश भी बढ़ता गया। हर मंच से केंद्र सरकार को चेतावनी दी जाती रही। कहा गया कि पुरानी पेंशन बहाली के सिवा कुछ भी कबूल नहीं है। सरकार न मानी तो सड़क पर उतर ट्रेनों का चक्काजाम कर देंगे। मंगलवार को कई महिला कर्मचारी भी अनशन को पहुंची।



09 जनवरी 2024

केंद्र और राज्यकर्मियों ने पुरानी पेंशन की मांग को लेकर देशभर में शुरू की रिले हंगर स्ट्राइक

08 से 11 जनवरी तक तक चलेगा भूख हड़ताल का यह अभियान 

जल्द शुरू हो सकती है अनिश्चितकालीन हड़ताल

ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा सहित कई एसोसिएशनों के पदाधिकारियों ने सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर रिले हंगर स्ट्राइक में हिस्सा लिया। एआईडीईएफ और कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स सहित विभिन्न फेडरेशन और एसोसिएशन इस हंगर स्ट्राइक में भाग ले रही हैं।

केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन, पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले सरकार को चेताने के लिए देशभर के सरकारी कर्मचारियों ने आठ जनवरी से 11 जनवरी तक 'रिले हंगर स्ट्राइक' शुरू की है। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा सहित कई एसोसिएशनों के पदाधिकारियों ने सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर रिले हंगर स्ट्राइक में हिस्सा लिया। एआईडीईएफ और कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स सहित विभिन्न फेडरेशन और एसोसिएशन इस हंगर स्ट्राइक में भाग ले रही

इन विभागों में हुआ था स्ट्राइक बैलेट

सरकारी कर्मचारी, पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर विभिन्न चरणों में आंदोलन कर रहे हैं। इसी के तहत रामलीला मैदान में रैली और धरने प्रदर्शन हुए हैं। कर्मचारियों ने सरकार को चेताया है कि इस मुद्दे पर देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल हो सकती है। इस हड़ताल के लिए देश के दो बड़े कर्मचारी संगठन, रेलवे और रक्षा (सिविल) ने अपनी सहमति दी है। स्ट्राइक बैलेट में रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा रक्षा विभाग (सिविल) के चार लाख कर्मियों में से 97 फीसदी कर्मी, हड़ताल के पक्ष में है। कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि जनवरी में हड़ताल की तिथि की घोषणा की जाएगी। इससे पहले देशभर के सरकार कर्मचारी, 'रिले हंगर स्ट्राइक' पर बैठेंगे। यह स्ट्राइक सरकार को चेताने के लिए है।


जल्द शुरू हो सकती है अनिश्चितकालीन हड़ताल

एनजेसीए के पदाधिकारियों का कहना है, सरकारी कार्यालयों और प्रतिष्ठानों में बहुत जल्द अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो सकती है। इस हड़ताल की स्थिति में रेल थम जाएंगी और रक्षा क्षेत्र के उद्योगों में कामकाज बंद हो जाएगा। इसके चलते केंद्र में ही नहीं, बल्कि विभिन्न राज्यों में भी सरकारी कामकाज प्रभावित होगा। केंद्र और राज्य सरकार के विभागों, संगठनों एवं प्रतिष्ठानों के सामने आठ जनवरी से 11 जनवरी तक हो रही 'रिले हंगर स्ट्राइक', अनिश्चितकालीन हड़ताल का ही पहला चरण है। विभिन्न कर्मचारी संगठन, भूखे रह कर सरकार से 'पुरानी पेंशन बहाली' की मांग करेंगे। रिले हंगर स्ट्राइक में एक निर्धारित अवधि के बाद कर्मियों की दूसरी टोली, भूख हड़ताल स्थल पर पहुंचेगी। कर्मचारी संगठनों की एक ही मांग है, गारंटीकृत पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली। केंद्र सरकार ने इस बाबत एक कमेटी का गठन किया है। हालांकि उसमें ओपीएस का कहीं भी जिक्र नहीं है। कमेटी, केवल एनपीएस में सुधार को लेकर अपनी रिपोर्ट देगी। पिछले संसद सत्र में लोकसभा सदस्य नव कुमार सरनीया, दीपक बैज और कृपाल बालाजी तुमाने द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया था कि ओपीएस बहाली को लेकर केंद्र सरकार के विचाराधीन कोई प्रस्ताव नहीं है।


गारंटीकृत पुरानी पेंशन योजना बहाल करनी होगी

शिव गोपाल मिश्रा के मुताबिक, ओपीएस पर केंद्र और सरकार के कर्मचारी लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों ने रामलीला मैदान में रैलियां की हैं। सरकार के समक्ष कई प्लेटफॉर्म के माध्यम से ओपीएस की मांग उठाई गई है। हमने सरकार को स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि कर्मचारियों को ओपीएस के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। सरकार को एनपीएस खत्म करना होगा और गारंटीकृत पुरानी पेंशन योजना बहाल करनी पड़ेगी। ओपीएस एक गैर राजनीतिक मुद्दा है। केंद्र या राज्यों में सरकार चाहे जिस भी दल की हो, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। ज्वाइंट फोरम में केंद्रीय संगठनों के अलावा राज्यों के भी 36 संगठन भी शामिल हैं।


चुनाव में बड़े उलटफेर का दावा
ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद 'जेसीएम' के सचिव शिवगोपाल मिश्रा के मुताबिक, लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है।  


पीएफआरडीए में संशोधन के बिना ओपीएस संभव नहीं
कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने कहा, केंद्र सरकार को पुरानी पेंशन योजना लागू करनी होगी। एनपीएस का पैसा, 'पेंशन फंड एंड रेगुलेटरी अथारिटी' (पीएफआरडीए) के पास जमा है। नई पेंशन योजना 'एनपीएस' के अंतर्गत केंद्रीय मद में जमा यह पैसा राज्यों को नहीं दिया जा सकता। वह पैसा केवल उन कर्मचारियों के पास जाएगा, जो इसका योगदान कर रहे हैं। ओपीएस लागू करने से पहले पीएफआरडीए में संशोधन करना पड़ेगा। कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स ने सरकार के समक्ष बड़े स्तर पर यह मांग उठाई है। इस बाबत नवंबर में रामलीला मैदान में कन्फेडरेशन ने एक विशाल रैली भी आयोजित की थी।


18 साल बाद रिटायर हुए कर्मी को मिली इतनी पेंशन
शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि एनपीएस में कर्मियों जो पेंशन मिल रही है, उतनी तो बुढ़ापा पेंशन ही है। एनपीएस स्कीम में शामिल कर्मी, 18 साल बाद रिटायर हो रहे हैं, उन्हें क्या मिला है। एक कर्मी को एनपीएस में 2417 रुपये मासिक पेंशन मिली है, दूसरे को 2506 रुपये और तीसरे कर्मी को 4900 रुपये प्रतिमाह की पेंशन मिली है। अगर यही कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में होते तो उन्हें प्रतिमाह क्रमश: 15250 रुपये, 17150 रुपये और 28450 रुपये मिलते। एनपीएस में कर्मियों द्वारा हर माह अपने वेतन का दस फीसदी शेयर डालने के बाद भी उन्हें रिटायरमेंट पर मामूली सी पेंशन मिलती है।

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