■ संविदा सेवा की समाप्ति का आदेश रद्द
■ हाईकोर्ट का संविदाकर्मी की बहाली का आदेश
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि संविदा सेवा में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत को कड़ाई से लागू नहीं किया जाता, लेकिन सेवा समाप्ति के मामले में स्पष्टीकरण का अवसर दिए जाने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि जब कर्मचारी ने छह-सात साल लगातार संविदा सेवा की हो तो उसे हटाए जाने के कारण जानने का अधिकार है।
याची की सेवा बहाल कीः इसी के साथ कोर्ट ने बिना कारण बताओ नोटिस दिए डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सेवा समाप्ति प्रस्ताव व सीएमओ वाराणसी द्वारा संविदा नियुक्ति समाप्त करने के आदेशों को रद्द कर दिया है और याची की सेवा बहाल कर दी है।
याची को तीन सप्ताह में कारण बताओ नोटिस दें: कोर्ट ने आदेश दिया है कि याची को तीन सप्ताह में कारण बताओ नोटिस दिया जाए। उसके बाद एक सप्ताह में याची जवाब दाखिल करे और फिर कमेटी विचार कर दो सप्ताह में गाइडलाइंस व नीतियों के अनुसार निर्णय ले।
हाईकोर्ट ने यह आदेश संगीता की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची की ओर से अधिवक्ता ऋतेश श्रीवास्तव, विवेक कुमार पाल व श्वेता सिंह का कहना था कि 21 जुलाई 2022 को याची का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काशी विद्यापीठ वाराणसी से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरहुआ वाराणसी स्थानांतरण किया गया। उसने केवल 11 नवंबर 2022 को रिपोर्ट किया। उसे दिसंबर के वेतन का भुगतान भी किया गया। इसके बाद वह बिना अनुमति लिए छुट्टी पर चली गई। तीन फरवरी 2023 को बीमारी की छुट्टी का पत्र देने केंद्र आई, लेकिन ड्यूटी नहीं की। इलाज कराने का कोई दस्तावेज पेश नहीं किया।
सीएमओ ने जारी किया था संविदा समाप्ति का आदेशः गैरहाजिर रहने पर डीएम वाराणसी की अध्यक्षता में कमेटी ने 11 मार्च 2023 को याची की संविदा सेवा समाप्ति का प्रस्ताव किया। जिसके अनुपालन में सीएमओ ने 14 मार्च 2023 को याची की सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया। दोनों आदेशों की वैधता को चुनौती दी गई। कहा गया कि आदेश जारी करने में नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया गया है।