नई दिल्ली : एक संसदीय समिति ने किसी सरकारी कर्मचारी को काम करने से रोकने के लिए उस पर हमला करने या दबाव डालने के अपराध के लिए दो साल की कैद की सजा को कम करके सजा एक साल की कैद करने की सिफारिश की है। कुछ सांसदों का कहना है कि इसका अत्यधिक दुरुपयोग होता है।
भाजपा सांसद ब्रजलाल की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति प्रस्तावित तीन आपराधिक कानूनों की समीक्षा की है। अपनी रिपोर्ट में समिति के कुछ सदस्यों ने कहा कि आइपीसी की धारा 353 को नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 130 बनाया गया है।
सदस्यों का कहना है कि आइपीसी की इस धारा का अत्यधिक दुरुपयोग होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक प्रदर्शन लोकतंत्र की आत्मा हैं। पहले ऐसी कई घटनाएं हुईं हैं जब आइपीसी की इस धारा के जरिये राजनेताओं का उत्पीड़न कर उन पर झूठे आरोप लगाए गए।
इसलिए यह सुझाव दिया गया है कि इस धारा के तहत सजा को एक साल कम कर दिया जाए। संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वह इस बात से सहमत हैं कि बीएनएस की धारा 130 में इस सजा को घटाकर दो की जगह एक साल कर दिया गया है।