गिफ्ट डीड के बाद आम लोगों की सुविधा के लिए स्टांप एवं पंजीयन विभाग ने एक नई पहल की है। इसके तहत पहली बार पोस्ट ऑफिस सेे भी ई-स्टांप देने का रास्ता खुल गया है। इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत एक जनवरी को 11 जिलों से होगी। इससे स्टांप की कालाबाजारी पर प्रभावी अंकुश लगेगा।
स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि ई-गर्वनेंस और डिजिटल इंडिया की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रदेश के 11 बड़े जिलों को नए साल का तोहफा दिया जा रहा है। इसे लेकर डाक विभाग और स्टाक होल्डिंग कॉरपोरेशन के बीच शुक्रवार को उनकी और चीफ पोस्टमास्टर जनरल बी. सेल्वाकुमार की मौजूदगी में समझौता हुआ। मंत्री ने बताया कि वेंडरों के जरिये ई-स्टांप की बिक्री ज्यादा कीमत लेकर की जा रही है। वेंडरों को सौ रुपये के स्टांप पर 23 पैसा कमीशन मिलता हैै, लेकिन दस रुपये का स्टांप भी 15 रुपये का बेचा जाता है। साथ ही स्टांप लेने के लिए लोगों को भाग-दौड़ करनी पड़ती है।
मंत्री ने बताया कि पहले स्टांप को विभाग ही छपवाता था और कमीशन पर देता था। इस पर विभाग के 1900 करोड़ रुपये खर्च होते थेे। ई-स्टांप लागू होने के बाद ये पैसा सरकार का बच रहा है। ई-स्टांप की जिम्मेदारी स्टाक होल्डिंग कॉरपोरेशन को दी गई है।
गांव-गांव तक पहुंचेगी सुविधा
आने वाले समय में पोस्ट ऑफिस से ई-स्टांप बिक्री की सुविधा गांव-गांव तक पहुंचेगी। ऐसे में स्टांप के लिए ग्रामीणों को शहर की दौड़ नहीं लगानी होगी। मंत्री ने कहा कि जल्द पूरे प्रदेश के सभी डाकघरों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी।
इन जिलों से शुरुआत
लखनऊ जीपीओ, कानपुर प्रधान डाकघर, कलेक्ट्रेट उप डाकघर आगरा, प्रयागराज कचहरी प्रधान डाकघर, वाराणसी कचहरी उप डाकघर, गोरखपुर कचहरी उप डाकघर, मेरठ कचहरी उप डाकघर, सहारनपुर प्रधान डाकघर, सेक्टर 34 गौतमबुद्धनगर (नोएडा), गाजियाबाद प्रधान डाकघर और बिजनौर प्रधान डाकघर।